स्वै गई निशँक आज ये री परयँक पर / नंदराम

स्वै गई निशँक आज ये री परयँक पर , बँग भौँह वारो मोहिँ अँक मो लगा गयो । मुरली मुकुट कटि तट पीतपट तैसे , अटपटी चाल चित मेरो उरझा गयो । कहै नन्दराम मुरि मन्द मुसकाय , नेक समझि न पायो कछु कान मेँ सुना गयो । आ गयो अचानक देखा गयो मयँक मुख… Continue reading स्वै गई निशँक आज ये री परयँक पर / नंदराम

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सोहत हैँ सुख सेज दोऊ सुषमा से भरे सुख के सुखदायन / नंदराम

सोहत हैँ सुख सेज दोऊ सुषमा से भरे सुख के सुखदायन । त्योँ नन्दरामजू अँक भरै परयँक परै चित चौगुने चायन । चूमत हैँ कलकँज कपोल रचैँ रस ख्यालहूँ सील सुभायन । साँवरी राधा गुमान करै तब गोरे गुबिन्द परैँ लगि पायन ।

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हरि हेर हमारे हिये विष बीजन / नंदराम

हरि हेर हमारे हिये विष बीजन , बै गयो बै गयो बै गयो री । ठनि ठौर कुठौर सनेह की ठोकर , दै गयो दै गयो दै गयो री । नँदरामजू त्योँ बिरहानल ते तन , तै गयो तै गयो तै गयो री । चित मेरो चुराय के चोर अली मन , लै गयो लै… Continue reading हरि हेर हमारे हिये विष बीजन / नंदराम

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हरी हरी भूमि जहाँ हरी हरी लोनी लता / नंदराम

हरी हरी भूमि जहाँ हरी हरी लोनी लता , हरे हरे पात हरे हरे अनुराग मे । कहै नन्दराम हरे हरे यमुना के कूल , हरित दुकूल हरे हरे मोती माँग मे । हरे हरे हारन मे हरित बहारन मे , हरी हरी डारन मे हरे हरे बाग मे । हरे हरे हरी को मिलन… Continue reading हरी हरी भूमि जहाँ हरी हरी लोनी लता / नंदराम

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