सोहत हैँ सुख सेज दोऊ सुषमा से भरे सुख के सुखदायन ।
त्योँ नन्दरामजू अँक भरै परयँक परै चित चौगुने चायन ।
चूमत हैँ कलकँज कपोल रचैँ रस ख्यालहूँ सील सुभायन ।
साँवरी राधा गुमान करै तब गोरे गुबिन्द परैँ लगि पायन ।
सोहत हैँ सुख सेज दोऊ सुषमा से भरे सुख के सुखदायन ।
त्योँ नन्दरामजू अँक भरै परयँक परै चित चौगुने चायन ।
चूमत हैँ कलकँज कपोल रचैँ रस ख्यालहूँ सील सुभायन ।
साँवरी राधा गुमान करै तब गोरे गुबिन्द परैँ लगि पायन ।