बात क्या कहूं नागरनटकी। नागर नटकी नागर०॥ध्रु०॥ हूं दधी बेचत जात ब्रिंदावन। छीन लीई मोरी दधीकी मटकी॥१॥ मोर मुकूट पीतांबर शोभे। अती शोभा उस कौस्तुभ मनकी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। प्रीत लगी उस मुरलीधरकी॥३॥
Category: Mirabai
पानी में मीन प्यासी / मीराबाई
पानी में मीन प्यासी। मोहे सुन सुन आवत हांसी॥ध्रु०॥ आत्मज्ञानबिन नर भटकत है। कहां मथुरा काशी॥१॥ भवसागर सब हार भरा है। धुंडत फिरत उदासी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। सहज मिळे अविनशी॥३॥
नाव किनारे लगाव प्रभुजी / मीराबाई
नाव किनारे लगाव प्रभुजी नाव किना०॥ध्रु०॥ नदीया घहेरी नाव पुरानी। डुबत जहाज तराव॥१॥ ग्यान ध्यानकी सांगड बांधी। दवरे दवरे आव॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। पकरो उनके पाव॥३॥
तेरे सावरे मुखपरवारी / मीराबाई
तेरे सावरे मुखपरवारी। वारी वारी बलिहारी॥ध्रु०॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडलकी छबि न्यारी न्यारी॥१॥ ब्रिंदामनमों धेनु चरावे। मुरली बजावत प्यारी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल चित्त वारी॥३॥
नही तोरी बलजोरी राधे / मीराबाई
नही तोरी बलजोरी राधे॥ध्रु०॥ जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। छीन लीई बांसरी॥१॥ सब गोपन हस खेलत बैठे। तुम कहत करी चोरी॥२॥ हम नही अब तुमारे घरनकू। तुम बहुत लबारीरे॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलिहारीरे॥४॥
नही जाऊंरे जमुना पाणीडा / मीराबाई
नही जाऊंरे जमुना पाणीडा। मार्गमां नंदलाल मळे॥ध्रु०॥ नंदजीनो बालो आन न माने। कामण गारो जोई चितडूं चळे॥१॥ अमे आहिउडां सघळीं सुवाळां। कठण कठण कानुडो मळ्यो॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। गोपीने कानुडो लाग्यो नळ्यो॥३॥
थारो विरुद्ध घेटे कैसी भाईरे / मीराबाई
थारो विरुद्ध घेटे कैसी भाईरे॥ध्रु०॥ सैना नायको साची मीठी। आप भये हर नाईरे॥१॥ नामा शिंपी देवल फेरो। मृतीकी गाय जिवाईरे॥२॥ राणाने भेजा बिखको प्यालो। पीबे मिराबाईरे॥३॥
तोरी सावरी सुरत नंदलालाजी / मीराबाई
तोरी सावरी सुरत नंदलालाजी॥ध्रु०॥ जमुनाके नीर तीर धेनु चरावत। कारी कामली वालाजी॥१॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडल झळकत लालाजी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। भक्तनके प्रतिपालाजी॥३॥
कहां गयोरे पेलो मुरलीवाळो / मीराबाई
कहां गयोरे पेलो मुरलीवाळो। अमने रास रमाडीरे॥ध्रु०॥ रास रमाडवानें वनमां तेड्या मोहन मुरली सुनावीरे॥१॥ माता जसोदा शाख पुरावे केशव छांट्या धोळीरे॥२॥ हमणां वेण समारी सुती प्रेहरी कसुंबळ चोळीरे॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त चोरीरे॥४॥
चालने सखी दही बेचवा जइये / मीराबाई
चालने सखी दही बेचवा जइये। ज्या सुंदर वर रमतोरे॥ध्रु०॥ प्रेमतणां पक्कान्न लई साथे। जोईये रसिकवर जमतोरे॥१॥ मोहनजी तो हवे भोवो थयो छे। गोपीने नथी दमतोरे॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। रणछोड कुबजाने गमतोरे॥३॥