राणा जी…हे राणा जी राणा जी अब न रहूंगी तोर हठ की साधु संग मोहे प्यारा लागे लाज गई घूंघट की हार सिंगार सभी ल्यो अपना चूड़ी कर की पटकी महल किला राणा मोहे न भाए सारी रेसम पट की राणा जी… हे राणा जी जब न रहूंगी तोर हठ की भई दीवानी मीरा डोले… Continue reading अब न रहूंगी तोर हठ की / मीराबाई
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तेरो कोई न रोकण हार / मीराबाई
तेरो कोई न रोकण हार मगन होय मीरा चली लाज सरम कुल की मर्यादा सिर सों दूर करी मान अपमान दोउ धर पटके निकसी हूं ग्यान गली मगन होय मीरा चली तेरो… ऊंची अटरिया लाज किवड़िया निरगुन सेज बिछी पचरंगी सेज झालर सुभा सोहे फूलन फूल कली मगन होय मीरा चली तेरो… सेज सुख मणा… Continue reading तेरो कोई न रोकण हार / मीराबाई
कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी / मीराबाई
कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी आवनकी मनभावन की। आप न आवै लिख नहिं भेजै बाण पड़ी ललचावनकी। ए दो नैण कह्यो नहिं मानै नदियां बहै जैसे सावन की। कहा करूं कछु नहिं बस मेरो पांख नहीं उड़ जावनकी। मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे चेरी भै हूं तेरे दांवनकी।
सखी मेरी नींद नसानी हो / मीराबाई
सखी मेरी नींद नसानी हो। पिवको पंथ निहारत सिगरी रैण बिहानी हो। सखियन मिलकर सीख द मन एक न मानी हो। बिन देख्यां कल नाहिं पड़त जिय ऐसी ठानी हो। अंग-अंग ब्याकुल भ मुख पिय पिय बानी हो। अंतर बेदन बिरहकी कोई पीर न जानी हो। ज्यूं चातक घनकूं रटै मछली जिमि पानी हो। मीरा… Continue reading सखी मेरी नींद नसानी हो / मीराबाई
राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री / मीराबाई
राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री। तड़पत-तड़पत कल न परत है बिरहबाण उर लागी री। निसदिन पंथ निहारूं पिवको पलक न पल भर लागी री। पीव-पीव मैं रटूं रात-दिन दूजी सुध-बुध भागी री। बिरह भुजंग मेरो डस्यो कलेजो लहर हलाहल जागी री। री आरति मेटि गोसाईं आय मिलौ मोहि सागी… Continue reading राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री / मीराबाई
मैं तो सांवरे के रंग राची / मीराबाई
मैं तो सांवरे के रंग राची। साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू लोक-लाज तजि नाची॥ ग कुमति ल साधुकी संगति भगत रूप भै सांची। गाय गाय हरिके गुण निस दिन कालब्यालसूं बांची॥ उण बिन सब जग खारो लागत और बात सब कांची। मीरा श्रीगिरधरन लालसूं भगति रसीली जांची॥
बाला मैं बैरागण हूंगी / मीराबाई
बाला मैं बैरागण हूंगी। जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे सोही भेष धरूंगी। सील संतोष धरूं घट भीतर समता पकड़ रहूंगी। जाको नाम निरंजन कहिये ताको ध्यान धरूंगी। गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा मन मुद्रा पैरूंगी। प्रेम पीतसूं हरिगुण गाऊं चरणन लिपट रहूंगी। या तन की मैं करूं कीगरी रसना नाम कहूंगी। मीरा के प्रभु गिरधर… Continue reading बाला मैं बैरागण हूंगी / मीराबाई
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन / मीराबाई
जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन। रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन॥ गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन॥ उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढ़े द्वारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन। ग्वाल बाल सब करत कुलाहल जय जय सबद उचारे।… Continue reading जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन / मीराबाई
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर / मीराबाई
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर। हम चितवत तुम चितवत नाहीं मन के बड़े कठोर। मेरे आसा चितनि तुम्हरी और न दूजी ठौर। तुमसे हमकूं एक हो जी हम-सी लाख करोर॥ कब की ठाड़ी अरज करत हूं अरज करत भै भोर। मीरा के प्रभु हरि अबिनासी देस्यूं प्राण अकोर॥
हरि मेरे जीवन प्राण अधार / मीराबाई
हरि मेरे जीवन प्राण अधार। और आसरो नांही तुम बिन तीनूं लोक मंझार॥ हरि मेरे जीवन प्राण अधार आपबिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार। हरि मेरे जीवन प्राण अधार मीरा कहैं मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार॥ हरि मेरे जीवन प्राण अधार