म्हारे घर होता जाज्यो राज। अबके जिन टाला दे जा सिर पर राखूं बिराज॥ म्हे तो जनम जनमकी दासी थे म्हांका सिरताज। पावणड़ा म्हांके भलां ही पधार, ह्या सब ही सुघारण काज॥ म्हे तो बुरी छां थांके भली छै घणेरी तुम हो एक रसराज। थांने हम सब ही की चिंता, तुम सबके हो गरीब निवाज॥… Continue reading म्हारे घर होता जाज्यो राज / मीराबाई
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प्रभुजी मैं अरज करुं छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार / मीराबाई
प्रभुजी मैं अरज करुं छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार॥ इण भव में मैं दुख बहु पायो संसा-सोग निवार। अष्ट करम की तलब लगी है दूर करो दुख-भार॥ यों संसार सब बह्यो जात है लख चौरासी री धार। मीरा के प्रभु गिरधर नागर आवागमन निवार॥
प्यारे दरसन दीज्यो आय तुम बिन रह्यो न जाय / मीराबाई
प्यारे दरसन दीज्यो आय तुम बिन रह्यो न जाय॥ जल बिन कमल चंद बिन रजनी ऐसे तुम देख्यां बिन सजनी। आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन बिरह कालजो खाय॥ दिवस न भूख नींद नहिं रैना मुख सूं कथत न आवे बैना। कहा कहूं कछु कहत न आवै मिलकर तपत बुझाय॥ क्यूं तरसावो अन्तरजामी आय मिलो किरपाकर… Continue reading प्यारे दरसन दीज्यो आय तुम बिन रह्यो न जाय / मीराबाई
आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी / मीराबाई
आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी। चित्त चढ़ो मेरे माधुरी मूरत उर बिच आन अड़ी। कब की ठाढ़ी पंथ निहारूं अपने भवन खड़ी॥ कैसे प्राण पिया बिन राखूं जीवन मूल जड़ी। मीरा गिरधर हाथ बिकानी लोग कहै बिगड़ी॥
बरसै बदरिया सावन की सावन की मनभावन की / मीराबाई
बरसै बदरिया सावन की सावन की मनभावन की। सावन में उमग्यो मेरो मनवा भनक सुनी हरि आवन की। उमड़ घुमड़ चहुं दिसि से आयो दामण दमके झर लावन की। नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै सीतल पवन सोहावन की। मीराके प्रभु गिरधर नागर आनंद मंगल गावन की।
मन रे परसि हरिके चरण / मीराबाई
मन रे परसि हरिके चरण। सुभग सीतल कंवल कोमलत्रिविध ज्वाला हरण। जिण चरण प्रहलाद परसे इंद्र पदवी धरण॥ जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे राख अपनी सरण। जिण चरण ब्रह्मांड भेटयो नखसिखां सिर धरण॥ जिण चरण प्रभु परसि लीने तेरी गोतम घरण। जिण चरण कालीनाग नाथ्यो गोप लीला-करण॥ जिण चरण गोबरधन धार।ह्यो गर्व मघवा हरण। दासि… Continue reading मन रे परसि हरिके चरण / मीराबाई
बंसीवारा आज्यो म्हारे देस, सांवरी सुरत वारी बेस / मीराबाई
बंसीवारा आज्यो म्हारे देस। सांवरी सुरत वारी बेस॥ आऊं-आऊं कर गया जी कर गया कौल अनेक। गिणता-गिणता घस ग म्हारी आंगलिया री रेख॥ मैं बैरागिण आदिकी जी थांरे म्हारे कदको सनेस। बिन पाणी बिन साबुण जी होय ग धोय सफेद॥ जोगण होय जंगल सब हेरूं छोड़ा ना कुछ सैस। तेरी सुरत के कारणे जी म्हे… Continue reading बंसीवारा आज्यो म्हारे देस, सांवरी सुरत वारी बेस / मीराबाई
बादल देख डरी हो स्याम मैं बादल देख डरी / मीराबाई
बादल देख डरी हो स्याम मैं बादल देख डरी। श्याम मैं बादल देख डरी। काली-पीली घटा ऊमड़ी बरस्यो एक घरी। श्याम मैं बादल देख डरी। जित जाऊं तित पाणी पाणी हु भोम हरी॥ श्याम मैं बादल देख डरी। जाका पिय परदेस बसत है भीजूं बाहर खरी। श्याम मैं बादल देख डरी। मीरा के प्रभु हरि… Continue reading बादल देख डरी हो स्याम मैं बादल देख डरी / मीराबाई
गली तो चारों बंद हु हैं मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय / मीराबाई
गली तो चारों बंद हु हैं मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय॥ ऊंची-नीची राह रपटली पांव नहीं ठहराय। सोच सोच पग धरूं जतन से बार-बार डिग जाय॥ ऊंचा नीचां महल पिया का म्हांसूं चढ्यो न जाय। पिया दूर पथ म्हारो झीणो सुरत झकोला खाय॥ कोस कोस पर पहरा बैठया पैग पैग बटमार। हे बिधना कैसी रच… Continue reading गली तो चारों बंद हु हैं मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय / मीराबाई
सुण लीजो बिनती मोरी मैं शरण गही प्रभु तेरी / मीराबाई
सुण लीजो बिनती मोरी मैं शरण गही प्रभु तेरी। तुम तो पतित अनेक उधारे भव सागर से तारे॥ मैं सबका तो नाम न जानूं को कोई नाम उचारे। अम्बरीष सुदामा नामा तुम पहुंचाये निज धामा। ध्रुव जो पांच वर्ष के बालक तुम दरस दिये घनस्यामा। धना भक्त का खेत जमाया कबिरा का बैल चराया॥ सबरी… Continue reading सुण लीजो बिनती मोरी मैं शरण गही प्रभु तेरी / मीराबाई