कोकिल / महावीर प्रसाद द्विवेदी

कोकिल अति सुंदर चिड़िया है, सच कहते हैं, अति बढ़िया है। जिस रंगत के कुँवर कन्हाई, उसने भी वह रंगत पाई। बौरों की सुगंध की भाँती, कुहू-कुहू यह सब दिन गाती। मन प्रसन्न होता है सुनकर, इसके मीठे बोल मनोहर। मीठी तान कान में ऐसे, आती है वंशी-धुनि जैसे। सिर ऊँचा कर मुख खोलै है,… Continue reading कोकिल / महावीर प्रसाद द्विवेदी

भारतवर्ष / महावीर प्रसाद द्विवेदी

जै जै प्यारे देश हमारे, तीन लोक में सबसे न्यारे । हिमगिरी-मुकुट मनोहर धारे, जै जै सुभग सुवेश ।। जै जै भारत देश ।।१।। हम बुलबुल तू गुल है प्यारा, तू सुम्बुल, तू देश हमारा । हमने तन-मन तुझ पर वारा, तेजः पुंज-विशेष ।। जै जै भारत देश ।।२।। तुझ पर हम निसार हो जावें,… Continue reading भारतवर्ष / महावीर प्रसाद द्विवेदी

आर्य-भूमि / महावीर प्रसाद द्विवेदी

1 जहाँ हुए व्यास मुनि-प्रधान, रामादि राजा अति कीर्तिमान। जो थी जगत्पूजित धन्य-भूमि , वही हमारी यह आर्य्य-भूमि ।। 2 जहाँ हुए साधु हा महान् थे लोग सारे धन-धर्म्मवान्। जो थी जगत्पूजित धर्म्म-भूमि, वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।। 3 जहाँ सभी थे निज धर्म्म धारी, स्वदेश का भी अभिमान भारी । जो थी जगत्पूजित पूज्य-भूमि, वही… Continue reading आर्य-भूमि / महावीर प्रसाद द्विवेदी