मोहन बिनु कौन चरैहैं गैया । नहिं बलदेव नहिं मनमोहन रोवहिं यशोदा मौया । को अब भोरे बछरू खोलिहैं को जैहैं गोठ दुहैया । एकसरि नंद बबा क्या करिहिं दोसरो न काउ सहैया । को अब कनक कटोरा भरि-भरि माखन क्षीर लुटैया । को अब नाचि-नाचि दधि खैहैं को चलिहैं अधपैया । को अब गोप… Continue reading मोहन बिनु कौन चरैहैं गैया / लक्ष्मीनाथ परमहंस
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नाथ हो कोटिन दोष हमारो / लक्ष्मीनाथ परमहंस
नाथ हो कोटिन दोष हमारो । कहाँ छिपाऊँ, छिपत ना तुमसे, रवि ससि नैन तिहारौ ।। टेक ।। जल, थल, अनल, अकास, पवन मिलि, पाँचो है रखवारो । पल-पल होरि रहत निसी बासर तिहुँ पुर साँझ सकारो ।। जागत, सोवत, उठत, बैठत करत फिरत व्यवहारो । रहत सदा संग, साथ न छोड़त, काल पुरुष बरियारो… Continue reading नाथ हो कोटिन दोष हमारो / लक्ष्मीनाथ परमहंस