अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया / इफ़्तिख़ार आरिफ़

अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया के एक उम्र चले और घर नहीं आया इस एक ख़्वाब की हसरत में जल बुझीं आँखें वो एक ख़्वाब के अब तक नज़र नहीं आया करें तो किस से करें ना-रसाइयों का गिला सफ़र तमाम हुआ हम-सफ़र नहीं आया दिलों की बात बदन की ज़बाँ से… Continue reading अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया / इफ़्तिख़ार आरिफ़

अब भी तौहीन-ए-इताअत नहीं होगी हम से / इफ़्तिख़ार आरिफ़

अब भी तौहीन-ए-इताअत नहीं होगी हम से दिल नहीं होगा तो बैअत नहीं होगी हम से रोज़ इक ताज़ा क़सीदा नई तश्बीब के साथ रिज़्क़ बर-हक़ है ये ख़िदमत नहीं होगी हम से दिल के माबूद जबीनों के ख़ुदाई से अलग ऐसे आलम में इबादत नहीं होगी हम से उजरत-ए-इश्क़ वफ़ा है तो हम ऐसे… Continue reading अब भी तौहीन-ए-इताअत नहीं होगी हम से / इफ़्तिख़ार आरिफ़