पाक के गद्दारों के लहू से कर दो धरती लाल / रीता अरोरा

पाक के गद्दारों के लहू से कर दो धरती लाल उसी खून से करना है माँ भारती का श्रंगार तत्पश्चात चिड़ियाघर में भूखे शेरो और चीतों के आगे फेंक दो मेरी सरकार तो दीपक जलाऊॅ मैं जाकर सरहद पार प्रस्तुति – रीता जयहिंद

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जो इन दिलों में नफरतों के बीज बोयेगा / रीता अरोरा

हम भारतवासी हैं हम सभी धर्मों का आदर करते हैं जो भारत मां की तरफ आंखों उठायेगा उसका सीना चीर दिया जाएगा जो इन दिलों में नफरतों के बीज बोयेगा वह जिंदगी भर रोयेगा भारत मां के रखवाले हमारे वीर सैनिक हमें जान से ज्यादा प्यारे है मां कसम एक वीर के बदले सौ –… Continue reading जो इन दिलों में नफरतों के बीज बोयेगा / रीता अरोरा

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तुम आओ सिंह की सवार बन कर / रीता अरोरा

तुम आओ सिंह की सवार बन कर ! माँ तुम आओ रंगो की फुहार बनकर ! माँ तुम आओ पुष्पों की बहार बनकर ! माँ तुम आओ सुहागन का श्रृंगार बनकर ! माँ तुम आओ खुशीयाँ अपार बनकर ! माँ तुम आओ रसोई में प्रसाद बनकर ! माँ तुम आओ रिश्तो में प्यार बनकर !… Continue reading तुम आओ सिंह की सवार बन कर / रीता अरोरा

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नाज हमें है उन वीरों पर / रीता अरोरा

नाज हमें है उन वीरों पर, जो मान बड़ा कर आये हैं। दुश्मन को घुसकर के मारा, शान बड़ा कर आये हैं।I मोदी जी अब मान गये हम, छप्पन इंची सीना है। कुचल, मसल दो उन सब को अब, चैन जिन्होंने छीना है।I और आस अब बड़ी वतन की, अरमान बड़ा कर आये हैं। नाज… Continue reading नाज हमें है उन वीरों पर / रीता अरोरा

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मां की महिमा / रीता अरोरा

कौन बिन माँ के जगत में जन्म पाया , देव से बढ़कर तुम्हारी मातृ माया , है नही ऋण मुक्त कोई मातृ से , जन्म चाहे सौ मिले जिस जाति से , दूसरा है रूप पत्नी का तुम्हारा , जो पुरुष का रात दिन बनती सहारा , सुख दुःख में है सदा संधर्ष करती ,… Continue reading मां की महिमा / रीता अरोरा

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माता – पिता पर आधारित / रीता अरोरा

दिल के एक कोने मे मन्दिर बना लो। मात-पिता की मूरत उस मे बिठा लो। दिया ना जलाओ पर गले से लगा लो। आरती के बदले , कुछ उनकी सुनो , कुछ अपनी सुनाओ। पहला भोग मात-पिता को लगा कर तो देखो। इनके चरणों मे माथा झुका क़र तो देखो। धर्म स्थलो पर जो मागने… Continue reading माता – पिता पर आधारित / रीता अरोरा

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नारी वर्णन / रीता अरोरा

मयखाने में साक़ी जैसी दीपक में बाती जैसी नयनो में फैले काजल सी बगिया में अमराई जैसी बरगद की शीतल छाया-सी बसन्त शोभित सुरभी जैसी गीता कुरान की वाणी-सी गंगा यमुना लहराती जैसी बगीचे की हरि दूब जैसी आँगन में हो तुलसी जैसी आकाश में छाय बदल सी शीतल बहती पुरवाई जैसी फूलों की खिलती… Continue reading नारी वर्णन / रीता अरोरा

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बचपन की यादें / रीता अरोरा

ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना… कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना, वो अपने बाल खुद न काढ़ पाना, पी टी शूज को चाक से चमकाना, वो काले जूतों को पैंट से पोंछते जाना… ? ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना… ? ? ? ? ? वो बड़े नाखुनों… Continue reading बचपन की यादें / रीता अरोरा

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जीवन का आधार / रीता अरोरा

लिपट कर एक बेल एक पेड़ को,आधार पा गई थी बहुत खुश थी सुंदर फूल उगाती थी और गिराती थी जैसे पुष्प वर्षा हो वो समझती थी की अब आसान सफर है जिंदगी का पेड़ की जड़ें भी गहरी है और विशाल भी है ये और मुझे इसने अपने चारों और लिपटने की मौन अनुमति… Continue reading जीवन का आधार / रीता अरोरा

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