ये गयाना की साँवली-सलोनी , काले-लम्बे बालों वाली तीखे-तीखे नैन-नक्श, काली-काली आँखों वाली भरी-भरी , गदराई लड़कियाँ अपने पूर्वजों के घर, भारत वापस जाना चाहती हैं। इतने कष्टों के बावजूद, भूली नहीं हैं अपने संस्कार। सुनती हैं हिन्दी फ़िल्मी गाने देखती हैं , हिन्दी फ़िल्में अंग्रेजी सबटाइटिल्स के साथ जाती हैं मन्दिरों में बुलाती हैं… Continue reading वे चाहती हैं लौटना / अंजना संधीर
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प्रेम में अंधी लड़की / अंजना संधीर
टैगोर की कविता दे कर उसने चिन्हित किया था शब्दों को कि वो उस रानी का माली बनना चाहता है सख़्त लड़की ने पढ़ा सोचा कि मेरे बाग का माली बनकर वो मेरे लिए क्या-क्या करेगा… खो गई सपनों में लड़की कविता पढ़ते-पढ़ते कि ठाकुर ने कितने रंग बिछाए हैं जीवन में तरंगों के लिए… Continue reading प्रेम में अंधी लड़की / अंजना संधीर