समुन्दर / अंजना भट्ट

नीले समुन्दर का साया आँखों में भर के तेरी प्यारी आँखों के समुन्दर में डूबने को जी चाहता है मचलती लहरों की मस्ती दिल में भरके तेरी बाँहों के झूले में झूलने को जी चाहता है समुन्दर का खारा पानी मूहँ में भरके तेरे होठों के अमृत की मिठास चखने को जी चाहता है आ… Continue reading समुन्दर / अंजना भट्ट

कोहरा / अंजना भट्ट

हर तरफ छाया है कोहरा…आँखें हैं कुछ मजबूर धुंधली सी बादल की एक चादर है कुछ नहीं आता नज़र दूर दूर… बस कुछ थोड़ी सी रोशनी और उसके पर सब कुछ खोया खोया सा… मगर इस कोहरे के पार भी है कुछ…दिख रहा जाना पहचाना सा. हाँ…तेरा चेहरा है… प्यार बरसाता, मुस्कुराता सा, आँखों में… Continue reading कोहरा / अंजना भट्ट

प्यास / अंजना भट्ट

इस कदर छाई है दिल और दिमाग पर तेरी याद की आंधी इस तूफ़ान में उड़ कर भी तेरे पास क्यों नहीं आ पाती? इस कदर छाई है तन बदन पर तुझसे मिलने की प्यास इस प्यास में तड़प कर भी तुझमें खो क्यों नहीं पाती? बस आ…कि अब तुझ बिन कोई भी मुझे संभाल… Continue reading प्यास / अंजना भट्ट

धरती और आसमान / अंजना भट्ट

मैं? मैं हूँ एक प्यारी सी धरती कभी परिपूर्णता से तृप्त और कभी प्यासी आकाँक्षाओं में तपती. और तुम? तुम हो एक अंतहीन आसमान संभावनों से भरपूर और ऊंची तुम्हारी उड़ान कभी बरसाते हो अंतहीन स्नेह और कभी….. सिर्फ धूप……ना छांह और ना मेंह. जब जब बरसता है मुझ पर तुम्हारा प्रेम और तुम्हारी कामनाओं… Continue reading धरती और आसमान / अंजना भट्ट