बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये / फ़राज़

बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये के अब तलक नही पलटे हैं लोग कब के गये करेगा कौन तेरी बेवफ़ाइयों का गिला यही है रस्मे ज़माना तो हम भी अब के गये मगर किसी ने हमे हमसफ़र नही जाना ये और बात के हम साथ साथ सब के गये अब आये हो… Continue reading बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये / फ़राज़