अरे ! ऋतुराज आ गया !! / अज्ञेय

शिशर ने पहन लिया वसन्त का दुकूल गंध बह उड़ रहा पराग धूल झूले काँटे का किरीट धारे बने देवदूत पीत वसन दमक रहे तिरस्कृत बबूल अरे! ऋतुराज आ गया!!

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