ऐ दिल न कर तू फ़िक्र पड़ेगा बला के हाथ / हातिम शाह

ऐ दिल न कर तू फ़िक्र पड़ेगा बला के हाथ आईना हो के जा के लग अब दिलरूबा के हाथ पैग़ाम दर्द-ए-दिल का मिरे ग़ुंचा-लब सती पहुँचा सकेगा कौन मगर दूँ सबा के हाथ मैं अब गिला जहाँ में बेगानों सीं क्या करूँ जीना हुआ मुहाल मुझे आश्ना के हाथ देना नहीं है शीशा-ए-दिल संग-दिल… Continue reading ऐ दिल न कर तू फ़िक्र पड़ेगा बला के हाथ / हातिम शाह

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आब-ए-हयात जा के किसू ने पिसू ने पिया तो क्या / हातिम शाह

आब-ए-हयात जा के किसू ने पिसू ने पिया तो क्या मानिंद-ए-ख़िज्र जग में अकेला जिया तो क्या शीरीं-लबाँ सीं संग-दिलों को असर नहीं फ़रहाद काम कोह-कनी का किया तो क्या जलना लगन में शम्अ-सिफ़त सख़्त काम है परवाना जूँ शिताब अबस जी दिया तो क्या नासूर की सिफ़त है न होगा कभू वो बंद जर्राह… Continue reading आब-ए-हयात जा के किसू ने पिसू ने पिया तो क्या / हातिम शाह

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