हम परियों के चाहने वाले ख़्वाब में देखें परियाँ / हसन अब्बास रजा

हम परियों के चाहने वाले ख़्वाब में देखें परियाँ दूर से स्प का सदक़ा बाँटें हाथ न आएँ परियाँ राह में हाएल क़ाफ़-पहाड़ और हाथ चराग़ से ख़ाली क्यूँकर जुनूँ-चंगुल से हम छुड़वाएँ परियाँ आशाओं की सोहनी सहरी सच सजाए रक्खूँ जाने कौन घड़ी मेरे घर में आने बराजें परियाँ सारे शहर को चाँदनी की… Continue reading हम परियों के चाहने वाले ख़्वाब में देखें परियाँ / हसन अब्बास रजा

दुश्मन को ज़द पर आ जाने दो दुश्ना मिल जाएगा / हसन अब्बास रजा

दुश्मन को ज़द पर आ जाने दो दुश्ना मिल जाएगा ज़िंदानों को तोड़ निकलने का रस्ता मिल जाएगा शाह-सवार के कट जाने का दुख तो हमें भी है लेकिन तुम परचम थामे रखना सालार-सिप्पा मिल जाएगा हमें ख़बर थी शहर-ए-पनाह पर खड़ी सिपाह मुनाफ़िक़ है हमें यक़ीं था नक़ब-ज़नों से ये दस्ता मिल जाएगा सोच-कमान… Continue reading दुश्मन को ज़द पर आ जाने दो दुश्ना मिल जाएगा / हसन अब्बास रजा