सतिंदर नूर के लिए / हरप्रीत कौर

एक मैं तुम्हारी कविता से शाइस्ता लाहौर में मिली थी न…? 202 में ठहरी थी मैं पाकिस्तान से हूँ याद है न ? मैं राजी खुशी हूँ पर एक बात बताओ ‘तुम्हारे देश में अपनों को याद करने का रिवाज भी है कि नहीं ? कब से इंतजार में हूँ कि तुम खत लिखो और… Continue reading सतिंदर नूर के लिए / हरप्रीत कौर

निरूपमा दत्त मैं बहुत उदास हूँ / हरप्रीत कौर

एक निरुपमा दत्त मैं बहुत उदास हूँ सच-सच बतलाना नीरू इतनी बड़ी दुनिया के इतने सारे शहर छोड़ कर तुम वापिस चंडीगढ़ क्यों लौट जाना चाहती थी चंडीगढ़ जैसे हसीन शहर में अपने उन दुखों का क्या करती हो नीरू जो तुमने दिल्ली जैसे क्रूर शहर से ईजाद किए थे लंबे समय के बाद तुम्हें… Continue reading निरूपमा दत्त मैं बहुत उदास हूँ / हरप्रीत कौर