ट्रक के नीचे आ गया एक आदमी वह अपने बायें चल रहा था एक लटका पाया गया कमरे के पंखे पर होटल में वह कहीं बाहर से आया था एक नहीं रहा बिजली का नंगा तार छू जाने से एक औरत नहीं रही अपने खेत में अपने को बचाते हुए एक नहीं रहा डकैतों से… Continue reading अख़बार पढ़ते हुए / हरीशचन्द्र पाण्डे
Category: Harishchandra Pandey
एक दिन में / हरीशचन्द्र पाण्डे
दन्त्य ‘स’ को दाँतों का सहारा जितने सघन होते दाँत उतना ही साफ़ उच्चरित होगा ‘स’ दाँत छितरे हो तो सीटी बजाने लगेगा पहले पहल किसी सघन दाँतों वाले मुख से ही फूटा होगा ‘स’ पर ज़रूरी नहीं उसी ने दाख़िला भी दिलवाया हो वर्णमाला में ‘स’ को सबसे अधिक चबाने वाला ज़रूरी नहीं, सबसे… Continue reading एक दिन में / हरीशचन्द्र पाण्डे