दीपक / हरीसिंह पाल

हमारा काम है जलना चाहे यहाँ जलें, या वहाँ जलें झोंपड़ी में, महलों या देवस्थान पर। ये छोटे-मोटे आंधी, तूफान हमें हिला तो सकते हैं मगर बुझा नहीं सकते हम वहीं है, जहाँ पहले कभी थे राह चलते, बाधा और मुश्किलें आयीं तो क्या आयीं? इससे हमारी राहें, क्षणिक ठहरीं जरूर मगर रुकीं नहीं यह… Continue reading दीपक / हरीसिंह पाल

धरती छोटी है / हरीसिंह पाल

न थककर बैठ, यह धरती तुझसे छोटी है। कोई ऐसा नहीं थका दे, तेरे थके बिना सब कुछ है तेरे हाथों में, खोना-पाना और मिट जाना। कुछ भी तुझे अलभ्य नहीं है, यह मंत्र जान ले जो कुछ है तेरे कर में है, किस्मत तुझसे छोटी है न थककर बैठ, यह धरती तुझसे छोटी है।… Continue reading धरती छोटी है / हरीसिंह पाल