उनकी फ़ितरत है कि वे धोखा करें / हंसराज ‘रहबर’

उनकी फ़ितरत है कि वे धोखा करें हम पे लाज़िम है कि हम सोचा करें । बज़्म का माहौल कुछ ऐसा है आज हर कोई ये पूछता है “क्या करें?”। फिर जवाँ हो जाएँ दिल की हसरतें कुछ न कुछ ऐ हमनशीं ऐसा करें । वो जो फ़रमाते हैं सच होगा मगर हम भी अपनी… Continue reading उनकी फ़ितरत है कि वे धोखा करें / हंसराज ‘रहबर’

जी है जुगनू-सी ज़िंदगी हमने / हंसराज ‘रहबर’

जी है जुगनू-सी ज़िंदगी हमने दी अँधेरों को रोशनी हमने । लब सिले थे ख़मोश थी महफ़िल अनकही बात तब कही हमने । सच के बदले मिली जो बदनामी वो भी झेली ख़ुशी-ख़ुशी हमने । ज़ख़्म पर जो नमक छिड़कते थे, उनसे कर ली थी दोस्ती हमने । जिसमें नफ़रत भरी जहालत थी ख़ूब देखी… Continue reading जी है जुगनू-सी ज़िंदगी हमने / हंसराज ‘रहबर’