पता नहीं कब, कौन, कहाँ किस ओर मिले किस साँझ मिले, किस सुबह मिले!! यह राह ज़िन्दगी की जिससे जिस जगह मिले है ठीक वही, बस वही अहाते मेंहदी के जिनके भीतर है कोई घर बाहर प्रसन्न पीली कनेर बरगद ऊँचा, ज़मीन गीली मन जिन्हें देख कल्पना करेगा जाने क्या!! तब बैठ एक गम्भीर वृक्ष… Continue reading पता नहीं… / गजानन माधव मुक्तिबोध
Category: Gajanan Madhav Muktibodh
भूल ग़लती / गजानन माधव मुक्तिबोध
भूल-ग़लती आज बैठी है ज़िरहबख्तर पहनकर तख्त पर दिल के, चमकते हैं खड़े हथियार उसके दूर तक, आँखें चिलकती हैं नुकीले तेज पत्थर सी, खड़ी हैं सिर झुकाए सब कतारें बेजुबां बेबस सलाम में, अनगिनत खम्भों व मेहराबों-थमे दरबारे आम में। सामने बेचैन घावों की अज़ब तिरछी लकीरों से कटा चेहरा कि जिस पर काँप… Continue reading भूल ग़लती / गजानन माधव मुक्तिबोध