सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ प्रिय मिलने का वचन भरो तो ! पलकों-पलकों शूल बुहारूँ अँसुअन सींचू सौरभ गलियाँ भँवरों पर पहरा बिठला दूँ कहीं न जूठी कर दें कलियाँ फूट पडे पतझर से लाली तुम अरुणारे चरन धरो तो ! रात न मेरी दूध नहाई प्रात न मेरा फूलों वाला तार-तार हो गया निमोही… Continue reading सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूं / भारत भूषण
Category: Bharat Bhushan
मेरे मन-मिरगा नहीं मचल / भारत भूषण
मेरे मन-मिरगा नहीं मचल हर दिशि केवल मृगजल-मृगजल! प्रतिमाओं का इतिहास यही उनको कोई भी प्यास नहीं तू जीवन भर मंदिर-मंदिर बिखराता फिर अपना दृगजल! खौलते हुए उन्मादों को अनुप्रास बने अपराधों को निश्चित है बाँध न पाएगा झीने-से रेशम का आँचल! भीगी पलकें भीगा तकिया भावुकता ने उपहार दिया सिर माथे चढा इसे भी… Continue reading मेरे मन-मिरगा नहीं मचल / भारत भूषण
आज पहली बात / भारत भूषण
आज पहली बात पहली रात साथी चाँदनी ओढ़े धरा सोई हुई है श्याम अलकों में किरण खोई हुई है प्यार से भीगा प्रकृति का गात साथी आज पहली बात पहली रात साथी मौन सर में कंज की आँखें मुंदी हैं गोद में प्रिय भृंग हैं बाहें बँधी हैं दूर है सूरज, सुदूर प्रभात साथी आज… Continue reading आज पहली बात / भारत भूषण
जिस पल तेरी याद सताए / भारत भूषण
जिस पल तेरी याद सताए, आधी रात नींद जग जाये ओ पाहन! इतना बतला दे उस पल किसकी बाहँ गहूँ मै अपने अपने चाँद भुजाओं में भर भर कर दुनिया सोये सारी सारी रात अकेला मैं रोऊँ या शबनम रोये करवट में दहकें अंगारे, नभ से चंदा ताना मारे प्यासे अरमानों को मन में दाबे… Continue reading जिस पल तेरी याद सताए / भारत भूषण
चक्की पर गेहूं लिए खड़ा / भारत भूषण
चक्की पर गेंहू लिए खड़ा मैं सोच रहा उखड़ा उखड़ा क्यों दो पाटों वाली साखी बाबा कबीर को रुला गई। लेखनी मिली थी गीतव्रता प्रार्थना- पत्र लिखते बीती जर्जर उदासियों के कपड़े थक गई हँसी सीती- सीती हर चाह देर में सोकर भी दिन से पहले कुलमुला गई। कन्धों पर चढ़ अगली पीढ़ी ज़िद करती… Continue reading चक्की पर गेहूं लिए खड़ा / भारत भूषण
अब खोजनी है आमरण / भारत भूषण
अब खोजनी है आमरण कोई शरण कोई शरण गोधुली मंडित सूर्य हूँ खंडित हुआ वैदूर्य हूँ मेरा करेंगे अनुसरण किसके चरण किसके चरण अभिजात अक्षर- वंश में निर्जन हुए उर- ध्वंस में कितने सहेजूँ संस्मरण कितना स्मरण कितना स्मरण निर्वर्ण खंडहर पृष्ठ हैं अंतरकथाएं नष्ट हैं व्यक्तित्व का ये संस्करण बस आवरण बस आवरण रतियोजना… Continue reading अब खोजनी है आमरण / भारत भूषण
यह तो कहो किसके हुए / भारत भूषण
आधी उमर करके धुआँ यह तो कहो किसके हुए परिवार के या प्यार के या गीत के या देश के यह तो कहो किसके हुए कन्धे बदलती थक गईं सड़कें तुम्हें ढोती हुईं ऋतुएँ सभी तुमको लिए घर-घर फिरीं रोती हुईं फिर भी न टँक पाया कहीं टूटा हुआ कोई बटन अस्तित्व सब चिथड़ा हुआ… Continue reading यह तो कहो किसके हुए / भारत भूषण
ये असंगति जिन्दगी के द्वार सौ-सौ बार रोई / भारत भूषण
ये असंगति जिन्दगी के द्वार सौ-सौ बार रोई बांह में है और कोई चाह में है और कोई साँप के आलिंगनों में मौन चन्दन तन पड़े हैं सेज के सपनो भरे कुछ फूल मुर्दों पर चढ़े हैं ये विषमता भावना ने सिसकियाँ भरते समोई देह में है और कोई, नेह में है और कोई स्वप्न… Continue reading ये असंगति जिन्दगी के द्वार सौ-सौ बार रोई / भारत भूषण
सागर के सीप (कविता) / भारत भूषण
ये उर-सागर के सीप तुम्हें देता हूँ । ये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूँ । है दर्द-कीट ने युग-युग इन्हें बनाया आँसू के खारी पानी से नहलाया जब रह न सके ये मौन, स्वयं तिर आए भव तट पर काल तरंगों ने बिखराए है आँख किसी की खुली किसी की सोती खोजो, पा ही जाओगे… Continue reading सागर के सीप (कविता) / भारत भूषण