तू है इक ताँबे का थाल जो सूरज की गर्मी में सारा साल तपे कोई हल्का नीला बादल जब उस पर बूँदें बरसाए एक छनाका हो और बूँदें बादल को उड़ जाएँ ताँबा जलता रहे वो है इक बिजली का तार जिस के अंदर तेज़ और आतिश-नाक इक बर्क़ी-रौ दौड़े जो भीउस के पास से… Continue reading अपना अपना रंग / एजाज़ फारूक़ी
Category: Ajaz Farooq
तुम जब जब गिराओगे लाशें मैं तब तब ज़िंदा हो जाऊंगा,
शक्ल बदलेगी मगर तुम्हें हर शय मे, मैं ही नज़र आऊंगा l
मैं सपूत हूं उस मां का जिसकी मिट्टी ही मेरा गुरूर है,
दफ्न होकर उस मिट्टी में मैं मर के भी अमर हो […]
आहया / एजाज़ फारूक़ी
असा-ए-मूसा अँधेरी रातों की एक तज्सीम मुंजमिद जिस में हाल इक नुक़्ता-ए-सुकूनी न कोई हरकत न कोई रफ़्तार जब आसमानों से आग बरसी तो बर्फ़ पिघली धुआँ सा निकला असा में हरकत हुई तो महबूस नाग निकला वो एक सय्याल लम्हा जो मुंजमिद पड़ा था बढ़ा झपट कर ख़िज़ाँ-रसीदा शजर की सब ख़ुश्क टहनियों को… Continue reading आहया / एजाज़ फारूक़ी