आईनों में अक्स न हों तो / अमजद इस्लाम

आईनों में अक्स न हों तो हैरत रहती है जैसे ख़ाली आँखों में भी वहशत रहती है हर दम दुनिया के हँगामे घेरे रखते थे जब से तेरे ध्यान लगे हैं फ़ुर्सत रहती है करनी है तो खुल के करो इंकार-ए-वफ़ा की बात बात अधूरी रह जाए तो हसरत रहती है शहर-ए-सुख़न में ऐसा कुछ… Continue reading आईनों में अक्स न हों तो / अमजद इस्लाम

ऐ इश्क़ तूने अक्सर क़ौमों को खा के छोड़ा / अल्ताफ़ हुसैन हाली

ऐ इश्क़! तूने अक्सर क़ौमों को खा के छोड़ा जिस घर से सर उठाया उस घर को खा के छोड़ा [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”नेक लोग”]अबरार[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  तुझसे तरसाँ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”सभ्य लोग”]अहरार[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  तुझसे लरज़ाँ जो [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”समक्ष”]ज़द[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  पे तेरी आया इसको गिरा के छोड़ा [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”राजाओं”]रावों[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  के राज छीने, शाहों के ताज छीने [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”घमण्डियों”]गर्दनकशों[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  को अक्सर नीचा दिखा के छोड़ा क्या… Continue reading ऐ इश्क़ तूने अक्सर क़ौमों को खा के छोड़ा / अल्ताफ़ हुसैन हाली

जहाँ में ‘हाली’ किसी पे अपने सिवा भरोसा न कीजियेगा / अल्ताफ़ हुसैन हाली

जहाँ में ‘हाली’ किसी पे अपने सिवा भरोसा न कीजिएगा ये भेद है अपनी ज़िन्दगी का बस इसकी चर्चा न कीजिएगा इसी में है ख़ैर हज़रते-दिल! कि यार भूला हुआ है हमको करे वो याद इसकी भूल कर भी कभी तमन्ना न कीजिएगा कहे अगर कोई तुझसे वाइज़! कि कहते कुछ और करते हो कुछ… Continue reading जहाँ में ‘हाली’ किसी पे अपने सिवा भरोसा न कीजियेगा / अल्ताफ़ हुसैन हाली

फ़रिश्ते से बेहतर है इन्सान बनना / अल्ताफ़ हुसैन हाली

बढ़ाओ न आपस में मिल्लत ज़ियादा मुबादा कि हो जाए नफ़रत ज़ियादा तक़ल्लुफ़ अलामत है बेग़ानगी की न डालो तक़ल्लुफ़ की आदत ज़ियादा करो दोस्तो पहले आप अपनी इज़्ज़त जो चाहो करें लोग इज़्ज़त ज़ियादा निकालो न रख़ने नसब में किसी के नहीं कोई इससे रज़ालत ज़ियादा करो इल्म से इक़्तसाबे-शराफ़त नसाबत से है ये… Continue reading फ़रिश्ते से बेहतर है इन्सान बनना / अल्ताफ़ हुसैन हाली

इश्क़ सुनते थे जिसे हम वो यही है शायद/ अल्ताफ़ हुसैन हाली

इश्क़ सुनते थे जिसे हम वो यही है शायद ख़ुद-ब-ख़ुद, दिल में है इक शख़्स समाया जाता शब को ज़ाहिद से न मुठभेड़ हुई ख़ूब हुआ नश्अ ज़ोरों पे था शायद न छुपाया जाता लोग क्यों शेख़ को कहते हैं कि अय्यार है वो उसकी सूरत से तो ऐसा नहीं पाया जाता अब तो [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip… Continue reading इश्क़ सुनते थे जिसे हम वो यही है शायद/ अल्ताफ़ हुसैन हाली

धूम है अपनी पारसाई की / अल्ताफ़ हुसैन हाली

धूम थी अपनी पारसाई की की भी और किससे आश्नाई की क्यों बढ़ाते हो इख़्तलात बहुत हमको ताक़त नहीं जुदाई की मुँह कहाँ तक छुपाओगे हमसे तुमको आदत है ख़ुदनुमाई की न मिला कोई ग़ारते-ईमाँ रह गई शर्म पारसाई की मौत की तरह जिससे डरते थे साअत आ पहुँची उस जुदाई की ज़िंदा फिरने की… Continue reading धूम है अपनी पारसाई की / अल्ताफ़ हुसैन हाली

सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल / अली सरदार जाफ़री

सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल रंग बन कर बिखर गया कोई गर्दिश-ए-ख़ूं रगों में तेज़ हुई दिल को छूकर गुज़र गया कोई फूल से खिल गये तसव्वुर में दामन-ए-शौक़ भर गया कोई

एक जू-ए-दर्द दिल से जिगर तक रवाँ है आज / अली सरदार जाफ़री

एक जू-ए-दर्द दिल से जिगर तक रवाँ है आज पिघला हुआ रगों में इक आतिश-फ़िशाँ है आज लब सी दिये हैं ता न शिकायत करे कोई लेकिन हर एक ज़ख़्म के मूँह में ज़बाँ है आज तारीकियों ने घेर् लिया है हयात को लेकिन किसी का रू-ए-हसीं दर्मियाँ है आज जीने का वक़्त है यही… Continue reading एक जू-ए-दर्द दिल से जिगर तक रवाँ है आज / अली सरदार जाफ़री

मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी / अली सरदार जाफ़री

मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी रंग और नूर का बहता हुआ धारा बन कर महफ़िल-ए-शौक़ में इक धूम मचा दी उस ने ख़ल्वत-ए-दिल में रही अन्जुमन-आरा बन कर शोला-ए-इश्क़ सर-ए-अर्श को जब छूने लगा उड़ गई वो मेरे सीने से शरारा बन कर और अब मेरे तसव्वुर का उफ़क़… Continue reading मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी / अली सरदार जाफ़री

मैं और मेरी तन्हाई / अली सरदार जाफ़री

आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तनहाई जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे रुसवाई ये फूल से चहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रस्ते राहें हैं तमाशाई रही भी तमाशाई मैं और मेरी तन्हाई अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे कातिल नज़र आती है दुनिया की… Continue reading मैं और मेरी तन्हाई / अली सरदार जाफ़री