हे रै बी.एस.पी. मेरे मन म्हं बसगी / अमर सिंह छाछिया

हे रै बी.एस.पी. मेरे मन म्हं बसगी।
तीनूं बख्तां आवै याद मेरै मेहन्दी-सी रचगी।…टेक

तेरे बिना इस दुनिया म्हं और ना कोई।
बेइमानां की ये सरकार जितणी भी आई।
तरक्की देश नै करी नहीं गुंडागर्दी छाई।
घणी तो मर इस गरीब की ये आई।
इब तो आंख खोल ल्यो क्यूं थारी सारा की मिचगी…

थारी सुणाई होवैगी वोट ब.स.पा. के दे दियो।
थारे सारे पूरे कर देगी थाम कट्ठे हो लियो।
जितणे दुख सै विपता के सारे धो लियो।
जीत थारी होवैगी मोहर हाथी पै ठोक दियो।
राज थारा ए आवैगा मेरै पक्की ए जंचगी…

झलसे और रेलियां म्हं किलकी सारै पड़गी।
कदे देखण म्हं ना आई इतणी दुनिया जुड़गी।
बी.एस.पी. की तो हवा सारै ऐ फिरगी।
भा.ज.पा. कै देखदिये नाग सी लड़गी।
तनै इबकै बक्शै नहीं तैं हाथी कै फंसगी…

अमरसिंह छाछिया बड़सी आला गुण तेरे गावै सै।
जड़ै हो प्रचार बी.एस.पी. का ओड़ै ऐ जावै सै।
सुत्ता पड़ा समाज यो ऊनै नै जगावै सै।
आपस की फूट घणी या इनके पावै सै।
यो न्यूऐ ठोकर खावै सै सदी कईऐ बीतगी…