स्मृतियाँ / अंजू शर्मा

हर बढ़ते कदम
पर बहुत कुछ है
जो पीछे छूट जाता है

पीछे छूटी हुई पगडंडियों से
मुड़ मुड़ कर गुज़रना
हर बार
सुखद नहीं रह पाता,
ज्यों का त्यों रह जाना
कठिन है
स्वयं का,
लोगों का,
चीज़ों का
जीवन का,
बदलाव के पड़ावों को छूते हुए
स्मृतियाँ
अक्सर पुकारती हैं
लुभाती हैं
बुलाती हैं
स्मृतियाँ
बदलाव को
नकारने की आदी हैं
और जीवन बदलाव का…

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