मुझे अफ़सोस है / भवानीप्रसाद मिश्र

मुझे अफ़सोस है
या कहिए मुझे वह है
जिसे मैं अफ़सोस मानता रहा हूँ

क्योंकि ज़्यादातर लोगों को
ऐसे में नहीं होता वह
जिसे मैं अफ़सोस मानता रहा हूँ

मेरा मन आज शाम को
शहर के बाहर जाकर
और बैठकर किसी

निर्जन टीले पर
देर तक शाम होना
देखते रहने का था

कारण-वश और क्या कहूँ
सभा में जाने की विवशता को
मैं शाम को

शहर के बाहर
नहीं जा पाया
न चढ़ पाया

इसलिए किसी टीले पर
देख नहीं सका
होती हुई शाम

और इसके कारण
जैसा लग रहा है मन को
उसे मैं अब तक

अफ़सोस ही कहता रहा हूँ
लोगों को
एक तो ऐसी

इच्छा ही नहीं होती
होती है तो
उसके पूरा न होने पर

उन्हें कुछ लगता नहीं है
या जो लगता है
उसे वे अफ़सोस

नहीं कहते
मैं आज विजन में
किसी टीले पर चढकर

देर तक
होती हुई शाम नहीं देख पाया
जाना पड़ा एक सभा में

इसका मुझे अफ़सोस है
या कहिए
मुझे वह है

जिसे मैं
अफ़सोस मानता रहा हूँ!

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