धरती छोटी है / हरीसिंह पाल

न थककर बैठ,
यह धरती तुझसे छोटी है।
कोई ऐसा नहीं थका दे, तेरे थके बिना
सब कुछ है तेरे हाथों में,
खोना-पाना और मिट जाना।
कुछ भी तुझे अलभ्य नहीं है,
यह मंत्र जान ले
जो कुछ है तेरे कर में है,
किस्मत तुझसे छोटी है
न थककर बैठ, यह धरती तुझसे छोटी है।

सब कुछ है जीवन में तेरे
यह गांठ बांध ले
जो कुछ कर लेगा हाथों से,
अपना उसे ही मान ले।
मत मन को मार,
यह सब दुनिया खोटी है
न थककर बैठ, यह धरती तुझसे छोटी है।

जीवन इतना सरल नहीं है,
जितना मान लिया है
सभी तो इतने बुरे नहीं हैं,
जैसा जान लिया है।
कुछ खोकर कुछ पाना होगा,
यह जग की गोटी है।
न थककर बैठ, यह धरती तुझसे छोटी है।

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