कोई कैसा हम सफर है, ये अभी से मत बताओ
अभी क्या पता किसी का, के चली नहीं है नाव
ये ज़रूरी तो नहीं है, के सदा रहे मरासिम
ये सफर की दोस्ती है, इसे रोग मत बनाओ
मेरे चारागर बोहत हैं, ये खलिश मगर है दिल में
कोई ऐसा हो के, जिस को हों अज़ीज़ मेरे घाव
तुम्हें आईनागिरी में है, बोहत कमाल हासिल
मेरा दिल है किरच किरच, इसे जोड़ के दिखाओ
कोई कैस था तो होगा, कोई कोकाहन था होगा
मेरे रंज मुख्तलिफ हैं, मुझे उनसे मत मिलाओ
मुझे क्या पड़ी है “साजिद”, के पराई आग मांगू
मैं ग़ज़ल का आदमी हूँ, मेरे अपने हैं अलाव
मायने : चारागर=चिकित्सक
कैस= मजनू का दूसरा नाम