और का और मेरा दिन / केदारनाथ अग्रवाल

दिन है
किसी और का
सोना का हिरन,
मेरा है
भैंस की खाल का
मरा दिन।
यही कहता है
वृद्ध रामदहिन
यही कहती है
उसकी धरैतिन,
जब से
चल बसा
उनका लाड़ला।

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