आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता / हनीफ़ तरीन

आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता
दर्द का रिश्ता अपनी आन नहीं खोता

बस्ती के हस्सास दिलों को चुभता है
सन्नाटा जब सारी रात नहीं होता

मन-नगरी में धूम-धड़क्का रहता है
मेरा मैं जब मेरे साथ नहीं होता

बन जाते हैं लम्हे भी कितने संगीन
वक़्त कभी जब अपना बोझ नहीं ढोता

रिश्ते नाते टूटे फूटे लगे हैं
जब भी अपना साया साथ नहीं होता

दिल को ‘हनीफ़’ उधार नहीं मिलता जब तक
आँखों का पथरीला दर्द नहीं रोता

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