कोई मुझको बेटा कहता , कोई कहता बच्चा । कोई मुझको मुन्नू कहता , कोई कहता चच्चा । कोई कहता लकड़ा ! मकड़ा! कोई कहता लौआ । कोई मुझको चूम प्यार से , कहता मेरे लौआ । कल आकर इक औरत बोली , तू है मेरा गहना । रोटी अगर समझती वह तो , मुश्किल… Continue reading उलझन / श्रीनाथ सिंह
Category: Srinath Singh
सीखो / श्रीनाथ सिंह
फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना। तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना! सीख हवा के झोकों से लो, हिलना, जगत हिलाना! दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना! सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना! लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना! वर्षा की बूँदों से… Continue reading सीखो / श्रीनाथ सिंह