उम्र / पंखुरी सिन्हा

जैसे सुबह उठकर कोई शीशे में देखे, कि कुछ बाल कनपटी पर सफ़ेद हो गए हैं, कि एक रेखा खिंचती है गालों में, अब हँसने पर, वैसे सुबह उठकर लड़की ने शीशे में देखा, कि अब वह बिल्कुल प्यार नहीं करती, उस आदमी से, जिसके साथ, उसका तथाकथित प्यार का रिश्ता है, और ज़िन्दगी उसके… Continue reading उम्र / पंखुरी सिन्हा

नई औरत / पंखुरी सिन्हा

वह क्षण भर भी नहीं उसका एक बारीक़-सा टुकड़ा था बस, जब लगाम मेरे हाथ से छूट गई थी, और सारी सड़क की भीड़ के साथ-साथ गाड़ियों के अलग-अलग हार्न की मिली जुली चीख़ के बीचोंबीच, अचानक ब्रेक लगने से घिसटकर रुकते टायरों के नीचे से, लाल हो गई ट्रैफ़िक की बत्ती के ऊपर से,… Continue reading नई औरत / पंखुरी सिन्हा