करखाही हांडी जैसा /नचिकेता

करखाही हांडी हैसा हम कोने में धर दिए गए। सींढ़ लगी कुठिला में गेहूँ का हर दाना बीझ गया ज़्यादा मुँह आने के कारण पूरा तालू सीझ गया नामिक ख़तरों के तिलस्म में गायब हम कर दिए गए। लहूलुहान सदी के सिरहाने फन काढ़े हैं गेहुँअन पटेंटों की भेंट चढ़े सावन, भादों, कातिक,अगहन और मिलावट… Continue reading करखाही हांडी जैसा /नचिकेता

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गिरे ताड़ से /नचिकेता

गिरे ताड़ से मगर बीच में ही खजूर पर हम अँटके। घर की झोल लगी दीवारों पर हैं चमगादड़ लटके खूस गए हैं काठ धरन, ओलती, दरवाज़े,चौखट के और न जीवित रहे याद में गीत पनघट के। साँप सूंघ जाने के कारण हम लगते माहुर-माते उखड़ रही साँसों से कैसे आँखों की उलटन जातें नागफनी… Continue reading गिरे ताड़ से /नचिकेता

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