कठण थयां रे माधव मथुरां जाई। कागळ न लख्यो कटकोरे॥ध्रु०॥ अहियाथकी हरी हवडां पधार्या। औद्धव साचे अटक्यारे॥१॥ अंगें सोबरणीया बावा पेर्या। शीर पितांबर पटकोरे॥२॥ गोकुळमां एक रास रच्यो छे। कहां न कुबड्या संग अतक्योरे॥३॥ कालीसी कुबजा ने आंगें छे कुबडी। ये शूं करी जाणे लटकोरे॥४॥ ये छे काळी ने ते छे। कुबडी रंगे रंग बाच्यो… Continue reading कठण थयां रे माधव मथुरां जाई / मीराबाई
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जशोदा मैया मै नही दधी खायो / मीराबाई
जशोदा मैया मै नही दधी खायो॥ध्रु०॥ प्रात समये गौबनके पांछे। मधुबन मोहे पठायो॥१॥ सारे दिन बन्सी बन भटके। तोरे आगे आयो॥२॥ ले ले अपनी लकुटी कमलिया। बहुतही नाच नचायो॥३॥ तुम तो धोठा पावनको छोटा। ये बीज कैसो पायो॥४॥ ग्वाल बाल सब द्वारे ठाडे है। माखन मुख लपटायो॥५॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जशोमती कंठ लगायो॥६॥
तुम कीं करो या हूं ज्यानी / मीराबाई
तुम कीं करो या हूं ज्यानी। तुम०॥ध्रु०॥ ब्रिंद्राजी बनके कुंजगलीनमों। गोधनकी चरैया हूं ज्यानी॥१॥ मोर मुगुट पीतांबर सोभे। मुरलीकी बजैया हूं ज्यानी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। दान दिन ले तब लै हुं ज्यानी॥३॥
आज मारे साधुजननो संगरे राणा / मीराबाई
आज मारे साधुजननो संगरे राणा। मारा भाग्ये मळ्यो॥ध्रु०॥ साधुजननो संग जो करीये पियाजी चडे चोगणो रंग रे॥१॥ सीकुटीजननो संग न करीये पियाजी पाडे भजनमां भंगरे॥२॥ अडसट तीर्थ संतोनें चरणें पियाजी कोटी काशी ने कोटी गंगरे॥३॥ निंदा करसे ते तो नर्क कुंडमां जासे पियाजी थशे आंधळा अपंगरे॥४॥ मीरा कहे गिरिधरना गुन गावे पियाजी संतोनी रजमां शीर… Continue reading आज मारे साधुजननो संगरे राणा / मीराबाई
अरज करे छे मीरा रोकडी / मीराबाई
अरज करे छे मीरा रोकडी। उभी उभी अरज॥ध्रु०॥ माणिगर स्वामी मारे मंदिर पाधारो सेवा करूं दिनरातडी॥१॥ फूलनारे तुरा ने फूलनारे गजरे फूलना ते हार फूल पांखडी॥२॥ फूलनी ते गादी रे फूलना तकीया फूलनी ते पाथरी पीछोडी॥३॥ पय पक्कानु मीठाई न मेवा सेवैया न सुंदर दहीडी॥४॥ लवींग सोपारी ने ऐलची तजवाला काथा चुनानी पानबीडी॥५॥ सेज बिछावूं… Continue reading अरज करे छे मीरा रोकडी / मीराबाई
आतुर थई छुं सुख जोवांने / मीराबाई
आतुर थई छुं सुख जोवांने घेर आवो नंद लालारे॥ध्रु०॥ गौतणां मीस करी गयाछो गोकुळ आवो मारा बालारे॥१॥ मासीरे मारीने गुणका तारी टेव तमारी ऐसी छोगळारे॥२॥ कंस मारी मातपिता उगार्या घणा कपटी नथी भोळारे॥३॥ मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर गुण घणाज लागे प्यारारे॥४॥
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों / मीराबाई
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों। तें मोहन वश कीधोरे॥ध्रु०॥ गोकुळमां सौ बात करेरे बाला कां न कुबजे वश लीधोरे॥१॥ मनको सो करी ते लाल अंबाडी अंकुशे वश कीधोरे॥२॥ लवींग सोपारी ने पानना बीदला राधांसु रारुयो कीनोरे॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त दीनोरे॥४॥
मेरो मन हरलियो राज रणछोड / मीराबाई
मेरो मन हरलियो राज रणछोड। मेरो मन०॥ध्रु०॥ त्रिकम माधव और पुरुषोत्तम ने। कुबेर कल्याणनी जोड॥१॥ राधां रुक्मिणी और सतभामा। जांबुक करणी जोड॥२॥ चार मास रत्नागर गाजे। गोमती करत कलोल॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हरी मारा दलडाना चोर॥४॥
मागत माखन रोटी / मीराबाई
मागत माखन रोटी। गोपाळ प्यारो मागत माखन रोटी॥ध्रु०॥ मेरे गोपालकू रोटी बना देऊंगी। एक छोटी एक मोटी॥१॥ मेरे गोपालकू बीहा करुंगी। बृषभानकी बेटी॥२॥ मेरे गोपालकू झबला शिवाऊंगी। मोतनकी लड छुटी॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलपा लोटी॥४॥
बन जाऊं चरणकी दासी रे / मीराबाई
बन जाऊं चरणकी दासी रे। दासी मैं भई उदासी॥ध्रु०॥ और देव कोई न जाणूं। हरिबिन भई उदासी॥१॥ नहीं न्हावूं गंगा नहीं न्हावूं जमुना। नहीं न्हावूं प्रयाग कासी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमलकी प्यासी॥३॥