प्रभु कब रे मिलोगे / मीराबाई

प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े।।टेक।। अन्न नहीं भावे नींद न आवे विरह सतावे मोय। घायल ज्यूं घूमूं खड़ी रे म्हारो दर्द न जाने कोय।।१।। दिन तो खाय गमायो री, रैन गमाई सोय। प्राण गंवाया झूरता रे, नैन गंवाया दोनु रोय।।२।। जो मैं ऐसा जानती रे, प्रीत कियाँ दुख होय। नगर… Continue reading प्रभु कब रे मिलोगे / मीराबाई

Published
Categorized as Mirabai

मन रे पासि हरि के चरन / मीराबाई

मन रे पासि हरि के चरन। सुभग सीतल कमल- कोमल त्रिविध – ज्वाला- हरन। जो चरन प्रह्मलाद परसे इंद्र- पद्वी- हान।। जिन चरन ध्रुव अटल कींन्हों राखि अपनी सरन। जिन चरन ब्राह्मांड मेंथ्यों नखसिखौ श्री भरन।। जिन चरन प्रभु परस लनिहों तरी गौतम धरनि। जिन चरन धरथो गोबरधन गरब- मधवा- हरन।। दास मीरा लाल गिरधर… Continue reading मन रे पासि हरि के चरन / मीराबाई

Published
Categorized as Mirabai

हेरी म्हा दरद दिवाणौ / मीराबाई

हेरी म्हा दरद दिवाणौ म्हारा दरद ना जाण्याँ कोय । घायल री गत घायल जाण्याँ हिबडो अगण संजोय ॥ जौहर की गत जौहरी जाणै क्या जाण्याँ जण खोय मीरा री प्रभु पीर मिटाँगा जब वैद साँवरो होय ॥

Published
Categorized as Mirabai

बरसै बदरिया सावन की / मीराबाई

बरसै बदरिया सावन की, सावन की मनभावन की । सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की ॥ उमड घुमड चहुं दिस से आयो, दामण दमके झर लावन की । नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै, सीतल पवन सुहावन की ॥ मीरा के प्रभु गिरघर नागर, आनन्द मंगल गावन की ॥

Published
Categorized as Mirabai

तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार / मीराबाई

तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार। मुरली तेरी मन हर्यो, बिसर्यो घर-व्यौहार॥ जब तें सवननि धुनि परि, घर आँगण न सुहाइ। पारधि ज्यूँ चूकै नहीं, मृगी बेधी दइ आइ॥ पानी पीर न जानई ज्यों मीन तड़फि मरि जाइ। रसिक मधुप के मरम को नहिं समुझत कमल सुभाइ॥ दीपक को जो दया नहिं, उड़ि-उड़ि… Continue reading तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार / मीराबाई

Published
Categorized as Mirabai

श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो / मीराबाई

श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो। औरन सूँ खेलै धमार, म्हासूँ मुखहुँ न बोले हो॥ म्हारी गलियाँ ना फिरे वाके, आँगन डोलै हो। म्हारी अँगुली ना छुए वाकी, बहियाँ मरोरै हो॥ म्हारो अँचरा ना छुए वाको, घूँघट खोलै हो। ‘मीरा’ को प्रभु साँवरो, रंग रसिया डोलै हो॥

Published
Categorized as Mirabai

पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे / मीराबाई

पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे। मैं तो मेरे नारायण की आपहि हो गई दासी रे। लोग कहै मीरा भई बावरी न्यात कहै कुलनासी रे॥ विष का प्याला राणाजी भेज्या पीवत मीरा हाँसी रे। ‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर सहज मिले अविनासी रे॥

Published
Categorized as Mirabai

पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो / मीराबाई

पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरू, किरपा कर अपनायो॥ जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो। खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो॥ सत की नाँव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तर आयो। ‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस पायो॥

Published
Categorized as Mirabai

बादल देख डरी / मीराबाई

बादल देख डरी हो, स्याम, मैं बादल देख डरी श्याम मैं बादल देख डरी काली-पीली घटा ऊमड़ी बरस्यो एक घरी जित जाऊं तित पाणी पाणी हुई सब भोम हरी जाके पिया परदेस बसत है भीजे बाहर खरी मीरा के प्रभु गिरधर नागर कीजो प्रीत खरी श्याम मैं बादल देख डरी

Published
Categorized as Mirabai

मोती मूँगे उतार बनमाला पोई / मीराबाई

मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥ अंसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई। अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥ दूध की मथनिया बडे प्रेम से बिलोई। माखन जब काढि लियो छाछ पिये कोई॥ भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई। दासी ‘मीरा लाल गिरिधर तारो अब मोही॥

Published
Categorized as Mirabai