मीरा दासी जनम जनम की / मीराबाई

प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय।। जल बिन कमल, चंद बिन रजनी, ऐसे तुम देख्याँ बिन सजनी। आकुल व्याकुल फिरूँ रैन दिन, बिरह कालजो खाय।। दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवे बैना। कहा कहूँ कछु कहत न आवै, मिलकर तपत बुझाय।। क्यूँ तरसावो अन्तरजामी, आय मिलो किरपाकर… Continue reading मीरा दासी जनम जनम की / मीराबाई

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मैं अरज करूँ / मीराबाई

प्रभुजी मैं अरज करुँ छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार।। इण भव में मैं दुख बहु पायो संसा-सोग निवार। अष्ट करम की तलब लगी है दूर करो दुख-भार।। यों संसार सब बह्यो जात है लख चौरासी री धार। मीरा के प्रभु गिरधर नागर आवागमन निवार।।

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प्रभु, कबरे मिलोगे / मीराबाई

प्रभुजी थे कहाँ गया, नेहड़ो लगाय। छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेम की बाती बलाय।। बिरह समंद में छोड़ गया छो हकी नाव चलाय। मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे तुम बिन रह्यो न जाय।।

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म्हारे घर / मीराबाई

म्हारे घर होता जाज्यो राज। अबके जिन टाला दे जाओ सिर पर राखूं बिराज।। म्हे तो जनम जनमकी दासी थे म्हांका सिरताज। पावणड़ा म्हांके भलां ही पधारया सब ही सुघारण काज।। म्हे तो बुरी छां थांके भली छै घणेरी तुम हो एक रसराज। थाने हम सब ही की चिंता (तुम) सबके हो गरीब निवाज।। सबके… Continue reading म्हारे घर / मीराबाई

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दूसरो न कोई / मीराबाई

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई। तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई।। छांडि दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई। संतन ढिग बैठि बैठि लोकलाज खोई।। चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई। मोती मूंगे उतार बनमाला पोई।। अंसुवन जल सीचि सीचि प्रेम बेलि बोई। अब तो… Continue reading दूसरो न कोई / मीराबाई

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प्राण अधार / मीराबाई

हरि मेरे जीवन प्राण अधार। और आसरो नांही तुम बिन, तीनू लोक मंझार।। हरि मेरे जीवन प्राण अधार आपबिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार। हरि मेरे जीवन प्राण अधार मीरा कहै मैं दासि रावरी, दीज्यो मती बिसार।। हरि मेरे जीवन प्राण अधार

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चितवौ जी मोरी ओर / मीराबाई

तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर। हम चितवत तुम चितवत नाहीं मन के बड़े कठोर। मेरे आसा चितनि तुम्हरी और न दूजी ठौर। तुमसे हमकूँ एक हो जी हम-सी लाख करोर।। कब की ठाड़ी अरज करत हूँ अरज करत भै भोर। मीरा के प्रभु हरि अबिनासी देस्यूँ प्राण अकोर।।

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मोरे ललन / मीराबाई

जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन। रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।। गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन।। उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढ़े द्वारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन। ग्वाल बाल सब करत कुलाहल जय जय सबद उचारे।… Continue reading मोरे ललन / मीराबाई

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बसो मोरे नैनन में / मीराबाई

बसो मोरे नैनन में नंदलाल। मोहनी मूरति सांवरि सूरति, नैणा बने बिसाल। अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती-माल।। छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल। मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल।।

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मैं बैरागण हूंगी / मीराबाई

बाला मैं बैरागण हूंगी। जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे, सोही भेष धरूंगी। सील संतोष धरूँ घट भीतर, समता पकड़ रहूंगी। जाको नाम निरंजन कहिये, ताको ध्यान धरूंगी। गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा, मन मुद्रा पैरूंगी। प्रेम पीतसूँ हरिगुण गाऊँ, चरणन लिपट रहूंगी। या तन की मैं करूँ कीगरी, रसना नाम कहूंगी। मीरा के प्रभु गिरधर… Continue reading मैं बैरागण हूंगी / मीराबाई

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