राग बागेश्री मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली॥ बिरहणी बैठी रंगमहल में, मोतियन की लड़ पोवै| इक बिहरणि हम ऐसी देखी, अंसुवन की माला पोवै॥ तारा गिण गिण रैण बिहानी , सुख की घड़ी कब आवै। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, जब मोहि दरस दिखावै॥ शब्दार्थ :- बिरहणी =विरहनी। पोवै =गूंथती है।… Continue reading मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली / मीराबाई
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प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय / मीराबाई
राग दरबारी प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय। छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेमकी बाती बलाय॥ बिरह समंद में छोड़ गया छो, नेहकी नाव चलाय। मीरा के प्रभु कब र मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय॥ शब्दार्थ :- थे =तू। नेहड़ो = प्रेम। बाती बलाय =आग लगाकर। समंद =समुद्र। छो = हो। कब र = अरे,… Continue reading प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय / मीराबाई
सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी / मीराबाई
राग धानी सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी॥ थे छो म्हारा गुण रा सागर, औगण म्हारूं मति जाज्यो जी। लोकन धीजै (म्हारो) मन न पतीजै, मुखडारा सबद सुणाज्यो जी॥ मैं तो दासी जनम जनम की, म्हारे आंगणा रमता आज्यो जी। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बेड़ो पार लगाज्यो जी॥ शब्दार्थ :- निभाज्यो =निभा लेना। थे छौ… Continue reading सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी / मीराबाई
दरस बिनु दूखण लागे नैन / मीराबाई
राग देश बिलंपत दरस बिनु दूखण लागे नैन। जबसे तुम बिछुड़े प्रभु मोरे, कबहुं न पायो चैन॥ सबद सुणत मेरी छतियां कांपे, मीठे लागे बैन। बिरह कथा कांसूं कहूं सजनी, बह गई करवत ऐन॥ कल न परत पल हरि मग जोवत, भई छमासी रैन। मीरा के प्रभू कब र मिलोगे, दुखमेटण सुखदैन॥ शब्दार्थ :- सुणत… Continue reading दरस बिनु दूखण लागे नैन / मीराबाई
माई म्हारी हरिजी न बूझी बात / मीराबाई
राग बिहाग माई म्हारी हरिजी न बूझी बात। पिंड मांसूं प्राण पापी निकस क्यूं नहीं जात॥ पट न खोल्या मुखां न बोल्या, सांझ भई परभात। अबोलणा जु बीतण लागो, तो काहे की कुशलात॥ सावण आवण होय रह्यो रे, नहीं आवण की बात। रैण अंधेरी बीज चमंकै, तारा गिणत निसि जात॥ सुपन में हरि दरस दीन्हों,… Continue reading माई म्हारी हरिजी न बूझी बात / मीराबाई
नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय / मीराबाई
राग भांड नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय॥ पानां ज्यूं पीली पड़ी रे, लोग कहैं पिंड रोग। छाने लांघण म्हैं किया रे, राम मिलण के जोग॥ बाबल बैद बुलाइया रे, पकड़ दिखाई म्हांरी बांह। मूरख बैद मरम नहिं जाणे, कसक कलेजे मांह॥ जा बैदां, घर आपणे रे, म्हांरो नांव न लेय। मैं तो… Continue reading नातो नामको जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय / मीराबाई
गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय / मीराबाई
राग जैजैवंती गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय। ऊंची नीची राह लपटीली, पांव नहीं ठहराय। सोच सोच पग धरूं जतनसे, बार बार डिग जाय॥ ऊंचा नीचा महल पियाका म्हांसूं चढ़्यो न जाय। पिया दूर पंथ म्हारो झीणो, सुरत झकोला खाय॥ कोस कोस पर पहरा बैठ्या, पैंड़ पैंड़ बटमार। है बिधना, कैसी… Continue reading गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय / मीराबाई
राम मिलण रो घणो उमावो, नित उठ जोऊं बाटड़ियाँ / मीराबाई
राग प्रभाती राम मिलण रो घणो उमावो, नित उठ जोऊं बाटड़ियाँ। दरस बिना मोहि कछु न सुहावै, जक न पड़त है आँखड़ियाँ॥ तड़फत तड़फत बहु दिन बीते, पड़ी बिरह की फांसड़ियाँ। अब तो बेग दया कर प्यारा, मैं छूं थारी दासड़ियाँ॥ नैण दुखी दरसणकूं तरसैं, नाभि न बैठें सांसड़ियाँ। रात-दिवस हिय आरत मेरो, कब हरि… Continue reading राम मिलण रो घणो उमावो, नित उठ जोऊं बाटड़ियाँ / मीराबाई
स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान / मीराबाई
राग सूहा स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान। स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान॥ सब में महिमा थांरी देखी कुदरत के करबान। बिप्र सुदामा को दालद खोयो बाले की पहचान॥ दो मुट्ठी तंदुल कि चाबी दीन्ह्यों द्रव्य महान। भारत में अर्जुन के आगे आप भया रथवान॥ अर्जुन कुलका लोग निहार्या छुट गया तीरकमान।… Continue reading स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान / मीराबाई
अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज / मीराबाई
राग रामकली अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज। समरथ सरण तुम्हारी सइयां, सरब सुधारण काज॥ भवसागर संसार अपरबल, जामें तुम हो झयाज। निरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज॥ जुग जुग भीर हरी भगतन की, दीनी मोच्छ समाज। मीरां सरण गही चरणन की, लाज रखो महाराज॥ शब्दार्थ :- निभायां =निबाहने से ही। सरेगी… Continue reading अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज / मीराबाई