म्हांरे घर होता जाज्यो राज / मीराबाई

राग सिंध भैरवी म्हांरे घर होता जाज्यो राज। अबके जिन टाला दे जाओ, सिर पर राखूं बिराज॥ म्हे तो जनम जनम की दासी, थे म्हांका सिरताज। पावणडा म्हांके भलां ही पधार्‌या, सब ही सुधारण काज॥ म्हे तो बुरी छां थांके भली छै, घणोरी तुम हो एक रसराज। थांने हम सब ही की चिंता, (तुम) सबके… Continue reading म्हांरे घर होता जाज्यो राज / मीराबाई

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हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को / मीराबाई

राग ललित हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को। मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे, कुंडल अलका कारी को॥ अधर मधुर पर बंसी बजावै रीझ रिझावै राधा प्यारी को। यह छवि देख मगन भई मीरा, मोहन गिरधर -धारी को॥ शब्दार्थ :- अलका कारी =काली अलकें। रिझावै =प्रसन्न करते हैं।

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म्हारा ओलगिया घर आया जी / मीराबाई

राग कजरी म्हारा ओलगिया घर आया जी। तन की ताप मिटी सुख पाया, हिल मिल मंगल गाया जी॥ घन की धुनि सुनि मोर मगन भया, यूं मेरे आनंद छाया जी। मग्न भई मिल प्रभु अपणा सूं, भौका दरद मिटाया जी॥ चंद कूं निरखि कमोदणि फूलैं, हरषि भया मेरे काया जी। रग रग सीतल भई मेरी… Continue reading म्हारा ओलगिया घर आया जी / मीराबाई

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पियाजी म्हारे नैणां आगे रहज्यो जी / मीराबाई

राग सावनी कल्याण पपइया रे, पिव की वाणि न बोल। सुणि पावेली बिरहुणी रे, थारी रालेली पांख मरोड़॥ चोंच कटाऊं पपइया रे, ऊपर कालोर लूण। पिव मेरा मैं पीव की रे, तू पिव कहै स कूण॥ थारा सबद सुहावणा रे, जो पिव मेंला आज। चोंच मंढ़ाऊं थारी सोवनी रे, तू मेरे सिरताज॥ प्रीतम कूं पतियां… Continue reading पियाजी म्हारे नैणां आगे रहज्यो जी / मीराबाई

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सहेलियां साजन घर आया हो / मीराबाई

राग देस पिया मोहि दरसण दीजै हो। बेर बेर मैं टेरहूं, या किरपा कीजै हो॥ जेठ महीने जल बिना पंछी दुख होई हो। मोर असाढ़ा कुरलहे घन चात्रा सोई हो॥ सावण में झड़ लागियो, सखि तीजां खेलै हो। भादरवै नदियां वहै दूरी जिन मेलै हो॥ सीप स्वाति ही झलती आसोजां सोई हो। देव काती में… Continue reading सहेलियां साजन घर आया हो / मीराबाई

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जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम / मीराबाई

राग सोरठ जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम॥ आज आनंद उमंगि भयो है जीव लहै सुखधाम। पांच सखी मिलि पीव परसिकैं आनंद ठामूं ठाम॥ बिसरि गयो दुख निरखि पियाकूं, सुफल मनोरथ काम। मीराके सुखसागर स्वामी भवन गवन कियो राम॥ शब्दार्थ :- जोसीड़ा = ज्योतिषी। पांच सखी = पांच ज्ञानेन्द्रियों से आशय है।… Continue reading जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम / मीराबाई

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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई / मीराबाई

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई॥ जाके सिर है मोरपखा मेरो पति सोई। तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई॥ छांड़ि दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई॥ संतन ढिग बैठि बैठि लोकलाज खोई॥ चुनरीके किये टूक ओढ़ लीन्हीं लोई। मोती मूंगे उतार बनमाला पोई॥ अंसुवन जल सींचि-सींचि प्रेम-बेलि बोई। अब तो बेल फैल गई… Continue reading मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई / मीराबाई

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बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे / मीराबाई

राग पीलू बरवा बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे॥ छालरिये म्हारो चित नहीं रे, डाबरिये कुण जाव। गंगा जमना सूं काम नहीं रे, मैंतो जाय मिलूं दरियाव॥ हाल्यां मोल्यांसूं काम नहीं रे, सीख नहीं सिरदार। कामदारासूं काम नहीं रे, मैं तो जाब करूं दरबार॥ काच कथीरसूं काम नहीं रे, लोहा… Continue reading बड़े घर ताली लागी रे, म्हारां मन री उणारथ भागी रे / मीराबाई

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या मोहन के रूप लुभानी / मीराबाई

राग गूजरी या मोहन के रूप लुभानी। सुंदर बदन कमलदल लोचन, बांकी चितवन मंद मुसकानी॥ जमना के नीरे तीरे धेनु चरावै, बंसी में गावै मीठी बानी। तन मन धन गिरधर पर बारूं, चरणकंवल मीरा लपटानी॥ शब्दार्थ :- दल =पंखुड़ी। बांकी =टेढ़ी। नीरे =निकट।

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मेरे नैना निपट बंकट छबि अटके / मीराबाई

राग त्रिवेनी (मेरे) नैना निपट बंकट छबि अटके॥ देखत रूप मदनमोहनको पियत पियूख न मटके। बारिज भवां अलक टेढ़ी मनौ अति सुगंधरस अटके॥ टेढ़ी कटि टेढ़ी कर मुरली टेढ़ी पाग लर लटके। मीरा प्रभु के रूप लुभानी गिरधर नागर नटके॥ शब्दार्थ :- निपट =बिल्कुल। बंकट =टेढ़े, श्रीकृष्ण का एक नाम त्रिभंगी भी है अर्थात तीन… Continue reading मेरे नैना निपट बंकट छबि अटके / मीराबाई

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