राग अगना राणाजी, थे क्यांने राखो म्हांसूं बैर। थे तो राणाजी म्हांने इसड़ा लागो, ज्यूं बृच्छन में कैर। महल अटारी हम सब त्याग्या, त्याग्यो थारो बसनो सैर॥ काजल टीकी राणा हम सब त्याग्या, भगती-चादर पैर। मीरा के प्रभु गिरधर नागर इमरित कर दियो झैर॥ शब्दार्थ :- क्यां ने = किसलिए। म्हासूं = मुझसे। इसड़ा =… Continue reading राणाजी, थे क्यांने राखो म्हांसूं बैर / मीराबाई
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राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊं ए माय / मीराबाई
राग खंभावती राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊं ए माय। मैं मंदभागण परम अभागण, कीरत कैसे गाऊं ए माय॥ बिरह पिंजरकी बाड़ सखी रीं,उठकर जी हुलसाऊं ए माय। मनकूं मार सजूं सतगुरसूं, दुरमत दूर गमाऊं ए माय॥ डंको नाम सुरतकी डोरी, कड़ियां प्रेम चढ़ाऊं ए माय। प्रेम को ढोल बन्यो अति भारी, मगन… Continue reading राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊं ए माय / मीराबाई
राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं / मीराबाई
राग पीलू राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं॥ राम नाम बिन नहीं आवड़े, हिबड़ो झोला खाय। भोजनिया नहीं भावे म्हांने, नींदडलीं नहिं आय॥ विष को प्यालो भेजियो जी, `जाओ मीरा पास,’ कर चरणामृत पी गई, म्हारे गोविन्द रे बिसवास॥ बिषको प्यालो पीं गई जीं,भजन करो राठौर, थांरी मीरा ना मरूं, म्हारो राखणवालो और॥ छापा… Continue reading राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं / मीराबाई
बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं / मीराबाई
राग कामोद बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं। सुणो री सखी तुम चेतन होयकै मनकी बात कहूं॥ साध संगति कर हरि सुख लेऊं जगसूं दूर रहूं। तन धन मेरो सबही जावो भल मेरो सीस लहूं॥ मन मेरो लागो सुमरण सेती सबका मैं बोल सहूं। मीरा के प्रभु हरि अविनासी सतगुर सरण गहूं॥ शब्दार्थ :- बरजि =… Continue reading बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं / मीराबाई
सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी / मीराबाई
राग पहाड़ी सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी। म्हे तो गुण गोविन्द का गास्यां हो माई॥ राणोजी रूठ्यो वांरो देस रखासी,हरि रूठ्या किठे जास्यां हो माई॥ लोक लाजकी काण न मानां,निरभै निसाण घुरास्यां हो माई॥ राम नामकी झाझ चलास्यां,भौ-सागर तर जास्यां हो माई॥ मीरा सरण सांवल गिरधर की, चरण कंवल लपटास्यां हो माई॥ शब्दार्थ… Continue reading सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी / मीराबाई
छोड़ मत जाज्यो जी महाराज / मीराबाई
राग तिलक कामोद छोड़ मत जाज्यो जी महाराज॥ मैं अबला बल नायं गुसाईं, तुमही मेरे सिरताज। मैं गुणहीन गुण नांय गुसाईं, तुम समरथ महाराज॥ थांरी होयके किणरे जाऊं, तुमही हिबडारो साज। मीरा के प्रभु और न कोई राखो अबके लाज॥ शब्दार्थ :- नांय = नहीं। थांरी =तुम्हारी। किणरे =किसकी। हिबडारो =हृदय के।
आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है / मीराबाई
राग हंस नारायण आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है॥ लागत बेहाल भई, तनकी सुध बुध गई , तन मन सब व्यापो प्रेम, मानो मतवारी है॥ सखियां मिल दोय चारी, बावरी सी भई न्यारी, हौं तो वाको नीके जानौं, कुंजको बिहारी॥ चंदको चकोर चाहे, दीपक पतंग दाहै, जल बिना मीन जैसे, तैसे… Continue reading आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है / मीराबाई
हरी मेरे जीवन प्रान अधार / मीराबाई
राग हमीर हरी मेरे जीवन प्रान अधार। और आसरो नाहीं तुम बिन तीनूं लोक मंझार॥ आप बिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार। मीरा कहै मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार॥ शब्दार्थ :- आसरो = सहारा। मंझार =में। रावरी =तुम्हारी।
जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं / मीराबाई
राग प्रभाती जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं॥ हरि छो जी हिरदा माहिं पट खोलो क्यूं नहीं॥ तन मन सुरति संजोइ सीस चरणां धरूं। जहां जहां देखूं म्हारो राम तहां सेवा करूं॥ सदकै करूं जी सरीर जुगै जुग वारणैं। छोड़ी छोड़ी लिखूं सिलाम बहोत करि जानज्यौ। बंदी हूं खानाजाद महरि करि मानज्यौ॥ हां हो… Continue reading जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं / मीराबाई
आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि / मीराबाई
राग हमीर आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि॥ झूठा माणिक मोतिया री झूठी जगमग जोति। झूठा आभूषण री, सांची पियाजी री प्रीति॥ झूठा पाट पटंबरा रे, झूठा दिखडणी चीर। सांची पियाजी री गूदड़ी, जामें निरमल रहे सरीर॥ छपन भोग बुहाय देहे इण भोगन में दाग। लूण अलूणो ही भलो है अपणे पियाजीरो… Continue reading आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि / मीराबाई