भज ले रे मन, गोपाल-गुना / मीराबाई

राग झंझोटी भज ले रे मन, गोपाल-गुना॥ अधम तरे अधिकार भजनसूं, जोइ आये हरि-सरना। अबिसवास तो साखि बताऊं, अजामील गणिका सदना॥ जो कृपाल तन मन धन दीन्हौं, नैन नासिका मुख रसना। जाको रचत मास दस लागै, ताहि न सुमिरो एक छिना॥ बालापन सब खेल गमायो, तरुण भयो जब रूप घना। वृद्ध भयो जब आलस उपज्यो,… Continue reading भज ले रे मन, गोपाल-गुना / मीराबाई

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मीरा मगन भई हरि के गुण गाय / मीराबाई

राग खम्माच मीरा मगन भई हरि के गुण गाय॥ सांप पिटारा राणा भेज्या, मीरा हाथ दिया जाय। न्हाय धोय जब देखन लागी, सालिगराम गई पाय॥ जहरका प्याला राणा भेज्या, इम्रत दिया बनाय। न्हाय धोय जब पीवन लागी, हो गई अमर अंचाय॥ सूली सेज राणा ने भेजी, दीज्यो मीरा सुवाय। सांझ भई मीरा सोवण लागी, मानो… Continue reading मीरा मगन भई हरि के गुण गाय / मीराबाई

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कुण बांचे पाती, बिना प्रभु कुण बांचे पाती / मीराबाई

राग गूजरी कुण बांचे पाती, बिना प्रभु कुण बांचे पाती। कागद ले ऊधोजी आयो, कहां रह्या साथी। आवत जावत पांव घिस्या रे (वाला) अंखिया भई राती॥ कागद ले राधा वांचण बैठी, (वाला) भर आई छाती। नैण नीरज में अम्ब बहे रे (बाला) गंगा बहि जाती॥ पाना ज्यूं पीली पड़ी रे (वाला) धान नहीं खाती। हरि… Continue reading कुण बांचे पाती, बिना प्रभु कुण बांचे पाती / मीराबाई

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सखी री लाज बैरण भई / मीराबाई

राग जौनपुरी सखी री लाज बैरण भई। श्रीलाल गोपालके संग काहें नाहिं गई॥ कठिन क्रूर अक्रूर आयो साज रथ कहं नई। रथ चढ़ाय गोपाल ले गयो हाथ मींजत रही॥ कठिन छाती स्याम बिछड़त बिरहतें तन तई। दासि मीरा लाल गिरधर बिखर क्यूं ना गई॥ शब्दार्थ :- बैरण = बैरिन, बाधा पहुंचाने वाली। नई = रथ… Continue reading सखी री लाज बैरण भई / मीराबाई

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फागुन के दिन चार होली खेल मना रे / मीराबाई

राग होरी सिन्दूरा फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥ बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे। बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥ सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे। उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे॥ घटके सब पट खोल दिये हैं लोकलाज सब डार रे। मीराके… Continue reading फागुन के दिन चार होली खेल मना रे / मीराबाई

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मैं गिरधर रंग-राती, सैयां मैं / मीराबाई

मुखपृष्ठ»रचनाकारों की सूची»मीराबाई» राग धानी मैं गिरधर रंग-राती, सैयां मैं॥ पचरंग चोला पहर सखी री, मैं झिरमिट रमवा जाती। झिरमिटमां मोहि मोहन मिलियो, खोल मिली तन गाती॥ कोईके पिया परदेस बसत हैं, लिख लिख भेजें पाती। मेरा पिया मेरे हीय बसत है, ना कहुं आती जाती॥ चंदा जायगा सूरज जायगा, जायगी धरण अकासी। पवन पाणी… Continue reading मैं गिरधर रंग-राती, सैयां मैं / मीराबाई

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चालो मन गंगा जमुना तीर / मीराबाई

राग सूहा चालो मन गंगा जमुना तीर। गंगा जमुना निरमल पाणी सीतल होत सरीर। बंसी बजावत गावत कान्हो, संग लियो बलबीर॥ मोर मुगट पीताम्बर सोहे कुण्डल झलकत हीर। मीराके प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल पर सीर॥ शब्दार्थ :- कान्हो =कन्हैया। बलबीर =कृष्ण के बड़े भाई बलराम। झलकत =जगमगाते हैं। सीर = सिर।

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या ब्रज में कछु देख्यो री टोना / मीराबाई

राग मधुमाध सारंग या ब्रज में कछु देख्यो री टोना॥ लै मटकी सिर चली गुजरिया, आगे मिले बाबा नंदजी के छोना। दधिको नाम बिसरि गयो प्यारी, लेलेहु री कोउ स्याम सलोना॥ बिंद्राबनकी कुंज गलिन में, आंख लगाय गयो मनमोहना। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सुंदर स्याम सुधर रसलौना॥ शब्दार्थ :- टोना =जादू। गुजरिया =ग्वालिन। छोना… Continue reading या ब्रज में कछु देख्यो री टोना / मीराबाई

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आली, म्हांने लागे वृन्दावन नीको / मीराबाई

राग वृन्दावनी आली, म्हांने लागे वृन्दावन नीको। घर घर तुलसी ठाकुर पूजा दरसण गोविन्दजी को॥ निरमल नीर बहत जमुना में, भोजन दूध दही को। रतन सिंघासन आप बिराजैं, मुगट धर्‌यो तुलसी को॥ कुंजन कुंजन फिरति राधिका, सबद सुनन मुरली को। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बजन बिना नर फीको॥ शब्दार्थ :- म्हांने =मुझे। मुगट =… Continue reading आली, म्हांने लागे वृन्दावन नीको / मीराबाई

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राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां / मीराबाई

राग पूरिया कल्यान राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां। चरणामृत को नेम हमारे, नित उठ दरसण जास्यां॥ हरि मंदर में निरत करास्यां, घूंघरियां धमकास्यां। राम नाम का झाझ चलास्यां भवसागर तर जास्यां॥ यह संसार बाड़ का कांटा ज्या संगत नहीं जास्यां। मीरा कहै प्रभु गिरधर नागर निरख परख गुण गास्यां॥ शब्दार्थ :- गास्यां =गाऊंगी।… Continue reading राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां / मीराबाई

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