राग काफी-ताल द्रुत दीपचंदी मुखडानी माया लागी रे, मोहन प्यारा। मुघडुं में जियुं तारूं, सव जग थयुं खारूं, मन मारूं रह्युं न्यारूं रे। संसारीनुं सुख एबुं, झांझवानां नीर जेवुं, तेने तुच्छ करी फरीए रे। मीराबाई बलिहारी, आशा मने एक तारी, हवे हुं तो बड़भागी रे॥ शब्दार्थ :- माया =लगन, प्रीति। जोयुं =देखा। तारूं =तेरा। थयुं… Continue reading मुखडानी माया लागी रे / मीराबाई
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सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार / मीराबाई
राग नीलांबरी सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार॥ लगनी लहंगो पहर सुहागण, बीतो जाय बहार। धन जोबन है पावणा रो, मिलै न दूजी बार॥ राम नाम को चुड़लो पहिरो, प्रेम को सुरमो सार। नकबेसर हरि नाम की री, उतर चलोनी परलै पार॥ ऐसे बर को क्या बरूं, जो जनमें औ मर… Continue reading सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार / मीराबाई
देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे / मीराबाई
राग पीलू देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे॥ फाटी तो फूलडियां पांव उभाणे चरण घसे। बालपणेका मिंत सुदामां अब क्यूं दूर बसे॥ कहा भावजने भेंट पठाई तांदुल तीन पसे। कित गई प्रभु मोरी टूटी टपरिया हीरा मोती लाल कसे॥ कित गई प्रभु मोरी गउअन बछिया द्वारा बिच हसती फसे। मीराके प्रभु हरि अबिनासी सरणे… Continue reading देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे / मीराबाई
मोहि लागी लगन गुरुचरणन की / मीराबाई
राग धानी मोहि लागी लगन गुरुचरणन की। चरण बिना कछुवै नाहिं भावै, जगमाया सब सपननकी॥ भौसागर सब सूख गयो है, फिकर नाहिं मोहि तरननकी। मीरा के प्रभु गिरधर नागर आस वही गुरू सरननकी॥ शब्दार्थ :- लगत =प्रीति। कछुवै = कुछ भी। सपनकी =स्वप्नों की, मिथ्या। सूख गयो =समाप्त हो गया।
री, मेरे पार निकस गया सतगुर मार्या तीर / मीराबाई
राग धानी री, मेरे पार निकस गया सतगुर मार्या तीर। बिरह-भाल लगी उर अंदर, व्याकुल भया सरीर॥ इत उत चित्त चलै नहिं कबहूं, डारी प्रेम-जंजीर। कै जाणै मेरो प्रीतम प्यारो, और न जाणै पीर॥ कहा करूं मेरों बस नहिं सजनी, नैन झरत दोउ नीर। मीरा कहै प्रभु तुम मिलियां बिन प्राण धरत नहिं धीर॥ शब्दार्थ… Continue reading री, मेरे पार निकस गया सतगुर मार्या तीर / मीराबाई
लागी मोहिं नाम-खुमारी हो / मीराबाई
राग मलार लागी मोहिं नाम-खुमारी हो॥ रिमझिम बरसै मेहड़ा भीजै तन सारी हो। चहुंदिस दमकै दामणी गरजै घन भारी हो॥ सतगुर भेद बताया खोली भरम -किंवारी हो। सब घट दीसै आतमा सबहीसूं न्यारी हो॥ दीपग जोऊं ग्यानका चढूं अगम अटारी हो। मीरा दासी रामकी इमरत बलिहारी हो॥ शब्दार्थ :- खुमारी =थकावट, हल्का नशा। मेहड़ा =मेघ,… Continue reading लागी मोहिं नाम-खुमारी हो / मीराबाई
लेतां लेतां रामनाम रे, लोकड़ियां तो लाजो मरै छे / मीराबाई
राग बिलावल लेतां लेतां रामनाम रे, लोकड़ियां तो लाजो मरै छे। हरि मंदिर जातां पांवड़ियां रे दूखै, फिर आवै आखो गाम रे। झगड़ो धाय त्यां दौड़ीने जाय रे, मूकीने घर ना काम रे॥ भांड भवैया गणकात्रित करतां वैसी रहे चारे जाम रे। मीरा ना प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल चित हाय रे॥ सब्दार्थ :- लोकड़ियां… Continue reading लेतां लेतां रामनाम रे, लोकड़ियां तो लाजो मरै छे / मीराबाई
रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै / मीराबाई
राग बिहागरा रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै। कहो कुण धीर बंधावै॥ यो संसार कुबुधि को भांडो, साध संगत नहीं भावै। राम-नाम की निंद्या ठाणै, करम ही करम कुमावै॥ राम-नाम बिन मुकति न पावै, फिर चौरासी जावै। साध संगत में कबहुं न जावै, मूरख जनम गुमावै॥ मीरा प्रभु गिरधर के सरणै, जीव परमपद पावै॥ शब्दार्थ… Continue reading रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै / मीराबाई
नहिं एसो जनम बारंबार / मीराबाई
राग हमीर नहिं एसो जनम बारंबार॥ का जानूं कछु पुन्य प्रगटे मानुसा-अवतार। बढ़त छिन-छिन घटत पल-पल जात न लागे बार॥ बिरछके ज्यूं पात टूटे, लगें नहीं पुनि डार। भौसागर अति जोर कहिये अनंत ऊंड़ी धार॥ रामनाम का बांध बेड़ा उतर परले पार। ज्ञान चोसर मंडा चोहटे सुरत पासा सार॥ साधु संत महंत ग्यानी करत चलत… Continue reading नहिं एसो जनम बारंबार / मीराबाई
चालो अगमके देस कास देखत डरै / मीराबाई
राग शुद्ध सारंग चालो अगमके देस कास देखत डरै। वहां भरा प्रेम का हौज हंस केल्यां करै॥ ओढ़ण लज्जा चीर धीरज कों घांघरो। छिमता कांकण हाथ सुमत को मूंदरो॥ दिल दुलड़ी दरियाव सांचको दोवडो। उबटण गुरुको ग्यान ध्यान को धोवणो॥ कान अखोटा ग्यान जुगतको झोंटणो। बेसर हरिको नाम चूड़ो चित ऊजणो॥ पूंची है बिसवास काजल… Continue reading चालो अगमके देस कास देखत डरै / मीराबाई