भोलानाथ दिंगबर ये दुःख मेरा हरोरे॥ध्रु०॥ शीतल चंदन बेल पतरवा मस्तक गंगा धरीरे॥१॥ अर्धांगी गौरी पुत्र गजानन चंद्रकी रेख धरीरे॥२॥ शिव शंकरके तीन नेत्र है अद्भूत रूप धरोरे॥३॥ आसन मार सिंहासन बैठे शांत समाधी धरोरे॥४॥ मीरा कहे प्रभुका जस गांवत शिवजीके पैयां परोरे॥५॥
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मन अटकी मेरे दिल अटकी / मीराबाई
मन अटकी मेरे दिल अटकी। हो मुगुटकी लटक मन अटकी॥ध्रु०॥ माथे मुकुट कोर चंदनकी। शोभा है पीरे पटकी॥ मन०॥१॥ शंख चक्र गदा पद्म बिराजे। गुंजमाल मेरे है अटकी॥ मन०॥२॥ अंतर ध्यान भये गोपीयनमें। सुध न रही जमूना तटकी॥ मन०॥३॥ पात पात ब्रिंदाबन धुंडे। कुंज कुंज राधे भटकी॥ मन०॥४॥ जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। सुरत रही… Continue reading मन अटकी मेरे दिल अटकी / मीराबाई
जो तुम तोडो पियो मैं नही तोडू / मीराबाई
जो तुम तोडो पियो मैं नही तोडू। तोरी प्रीत तोडी कृष्ण कोन संग जोडू ॥ध्रु०॥ तुम भये तरुवर मैं भई पखिया। तुम भये सरोवर मैं तोरी मछिया॥ जो०॥१॥ तुम भये गिरिवर मैं भई चारा। तुम भये चंद्रा हम भये चकोरा॥ जो०॥२॥ तुम भये मोती प्रभु हम भये धागा। तुम भये सोना हम भये स्वागा॥ जो०॥३॥… Continue reading जो तुम तोडो पियो मैं नही तोडू / मीराबाई
आज मेरेओ भाग जागो साधु आये पावना / मीराबाई
आज मेरेओ भाग जागो साधु आये पावना॥ध्रु०॥ अंग अंग फूल गये तनकी तपत गये। सद्गुरु लागे रामा शब्द सोहामणा॥ आ०॥१॥ नित्य प्रत्यय नेणा निरखु आज अति मनमें हरखू। बाजत है ताल मृदंग मधुरसे गावणा॥ आ०॥२॥ मोर मुगुट पीतांबर शोभे छबी देखी मन मोहे। मीराबाई हरख निरख आनंद बधामणा॥ आ०॥३॥
माई तेरी काना कोन गुनकारो / मीराबाई
माई तेरी काना कोन गुनकारो। जबही देखूं तबही द्वारहि ठारो॥ध्रु०॥ गोरी बावो नंद गोरी जशू मैया। गोरो बलिभद्र बंधु तिहारे॥ मा०॥१॥ कारो करो मतकर ग्वालनी। ये कारो सब ब्रजको उज्जारो॥ मा०॥२॥ जमुनाके नीरे तीरे धेनु चराबे। मधुरी बन्सी बजावत वारो॥ मा०॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल मोहि लागत प्यारो॥ मा०॥४॥
कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे / मीराबाई
कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे॥ध्रु०॥ कारेको विश्वास न कीजे अतिसे भूल परे॥१॥ काली जात कुजात कहीजे। ताके संग उजरे॥२॥ श्याम रूप कियो भ्रमरो। फुलकी बास भरे॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। कारे संग बगरे॥४॥
रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम / मीराबाई
रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम। तेरे कोडी लगे नही दाम॥ नरदेहीं स्मरणकूं दिनी। बिन सुमरे वे काम॥१॥ बालपणें हंस खेल गुमायो। तरुण भये बस काम॥२॥ पाव दिया तोये तिरथ करने। हाथ दिया कर दान॥३॥ नैन दिया तोये दरशन करने। श्रवन दिया सुन ज्ञान॥४॥ दांत दिया तेरे मुखकी शोभा। जीभ दिई भज राम॥५॥ मीरा कहे प्रभु… Continue reading रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम / मीराबाई
कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे / मीराबाई
कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे॥ध्रु०॥ छोड कनैया ओढणी हमारी। माट महिकी काना मेरी फुटे॥ को०॥१॥ छोड कनैया मैयां हमारी। लड मानूकी काना मेरी तूटे॥ को०॥२॥ छोडदे कनैया चीर हमारो। कोर जरीकी काना मेरी छुटे॥ को०॥३॥ मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। लागी लगन काना मेरी नव छूटे॥ को०॥४॥
कायकूं देह धरी भजन बिन कोयकु / मीराबाई
कायकूं देह धरी भजन बिन कोयकु देह गर्भवासकी त्रास देखाई धरी वाकी पीठ बुरी॥ भ०॥१॥ कोल बचन करी बाहेर आयो अब तूम भुल परि॥ भ०॥२॥ नोबत नगारा बाजे। बघत बघाई कुंटूंब सब देख ठरी॥ भ०॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जननी भार मरी॥ भ०॥४॥
मेरे तो आज साचे राखे हरी साचे / मीराबाई
मेरे तो आज साचे राखे हरी साचे। सुदामा अति सुख पायो दरिद्र दूर करी॥ मे०॥१॥ साचे लोधि कहे हरी हाथ बंधाये। मारखाधी ते खरी॥ मे०॥२॥ साच बिना प्रभु स्वप्नामें न आवे। मरो तप तपस्या करी॥ मे०॥३॥ मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। बल जाऊं गडी गडीरे॥ मे०॥४॥