गांजा पीनेवाला जन्मको लहरीरे॥ध्रु०॥ स्मशानावासी भूषणें भयंकर। पागट जटा शीरीरे॥१॥ व्याघ्रकडासन आसन जयाचें। भस्म दीगांबरधारीरे॥२॥ त्रितिय नेत्रीं अग्नि दुर्धर। विष हें प्राशन करीरे॥३॥ मीरा कहे प्रभू ध्यानी निरंतर। चरण कमलकी प्यारीरे॥४॥
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गोपाल राधे कृष्ण गोविंद / मीराबाई
गोपाल राधे कृष्ण गोविंद॥ गोविंद॥ध्रु०॥ बाजत झांजरी और मृंदग। और बाजे करताल॥१॥ मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गलां बैजयंती माल॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। भक्तनके प्रतिपाल॥३॥
कीसनजी नहीं कंसन घर जावो / मीराबाई
कीसनजी नहीं कंसन घर जावो। राणाजी मारो नही॥ध्रु०॥ तुम नारी अहल्या तारी। कुंटण कीर उद्धारो॥१॥ कुबेरके द्वार बालद लायो। नरसिंगको काज सुदारो॥२॥ तुम आये पति मारो दहीको। तिनोपार तनमन वारो॥३॥ जब मीरा शरण गिरधरकी। जीवन प्राण हमारो॥४॥
कान्हा कानरीया पेहरीरे / मीराबाई
कान्हा कानरीया पेहरीरे॥ध्रु०॥ जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। खेल खेलकी गत न्यारीरे॥१॥ खेल खेलते अकेले रहता। भक्तनकी भीड भारीरे॥२॥ बीखको प्यालो पीयो हमने। तुह्मारो बीख लहरीरे॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरण कमल बलिहारीरे॥४॥
कैसी जादू डारी / मीराबाई
कैसी जादू डारी। अब तूने कैशी जादु॥ध्रु०॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडलकी छबि न्यारी॥१॥ वृंदाबन कुंजगलीनमों। लुटी गवालन सारी॥२॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलहारी॥३॥
कौन भरे जल जमुना / मीराबाई
कौन भरे जल जमुना। सखीको०॥ध्रु०॥ बन्सी बजावे मोहे लीनी। हरीसंग चली मन मोहना॥१॥ शाम हटेले बडे कवटाले। हर लाई सब ग्वालना॥२॥ कहे मीरा तुम रूप निहारो। तीन लोक प्रतिपालना॥३॥
कृष्णमंदिरमों मिराबाई नाचे / मीराबाई
कृष्णमंदिरमों मिराबाई नाचे तो ताल मृदंग रंग चटकी। पावमों घुंगरू झुमझुम वाजे। तो ताल राखो घुंगटकी॥१॥ नाथ तुम जान है सब घटका मीरा भक्ति करे पर घटकी॥ध्रु०॥ ध्यान धरे मीरा फेर सरनकुं सेवा करे झटपटको। सालीग्रामकूं तीलक बनायो भाल तिलक बीज टबकी॥२॥ बीख कटोरा राजाजीने भेजो तो संटसंग मीरा हटकी। ले चरणामृत पी गईं मीरा… Continue reading कृष्णमंदिरमों मिराबाई नाचे / मीराबाई
हारे जावो जावोरे जीवन जुठडां / मीराबाई
हारे जावो जावोरे जीवन जुठडां। हारे बात करतां हमे दीठडां॥ध्रु०॥ सौ देखतां वालो आळ करेछे। मारे मन छो मीठडारे॥१॥ वृंदावननी कुंजगलीनमें। कुब्जा संगें दीठ डारे॥२॥ चंदन पुष्पने माथे पटको। बली माथे घाल्याता पछिडारे॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। मारे मनछो नीठडारे॥४॥
हूं जाऊं रे जमुना पाणीडा / मीराबाई
हूं जाऊं रे जमुना पाणीडा। एक पंथ दो काज सरे॥ध्रु०॥ जळ भरवुं बीजुं हरीने मळवुं। दुनियां मोटी दंभेरे॥१॥ अजाणपणमां कांइरे नव सुझ्यूं। जशोदाजी आगळ राड करे॥२॥ मोरली बजाडे बालो मोह उपजावे। तल वल मारो जीव फफडे॥३॥ वृंदावनमें मारगे जातां। जन्म जन्मनी प्रीत मळे॥४॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। भवसागरनो फेरो टळे॥५॥
हारे मारे शाम काले मळजो / मीराबाई
हारे मारे शाम काले मळजो। पेलां कह्या बचन पाळजो॥ध्रु०॥ जळ जमुना जळ पाणी जातां। मार्ग बच्चे वेहेला वळजो॥१॥ बाळपननी वाहिली दासी। प्रीत करी परवर जो॥२॥ वाटे आळ न करिये वाहला। वचन कह्युं तें सुनजो॥३॥ घणोज स्नेह थयाथी गिरिधर। लोललज्जाथी बळजो॥४॥ मीरा कहे गिरिधर नागर। प्रीत करी ते पाळजो॥५॥