प्रगट भयो भगवान॥ध्रु०॥ नंदाजीके घर नौबद बाजे। टाळ मृदंग और तान॥१॥ सबही राजे मिलन आवे। छांड दिये अभिमान॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। निशिदिनीं धरिजे ध्यान॥३॥
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तुम लाल नंद सदाके कपटी / मीराबाई
तुम लाल नंद सदाके कपटी॥ध्रु०॥ सबकी नैया पार उतर गयी। हमारी नैया भवर बिच अटकी॥१॥ नैया भीतर करत मस्करी। दे सय्यां अरदन पर पटकी॥२॥ ब्रिंदाबनके कुंजगलनमों सीरकी। घगरीया जतनसे पटकी॥३॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। राधे तूं या बन बन भटकी॥४॥
हरी सखी देख्योरी नंद किशोर / मीराबाई
हरी सखी देख्योरी नंद किशोर॥ध्रु०॥ मोर मुकुट मकराकृत कुंडल। पीतांबर झलक हरोल॥१॥ ग्वाल बाल सब संग जुलीने। गोवर्धनकी और॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। हरि भये माखन चोर॥३॥
मैं तो तेरे दावन लागीवे गोपाळ / मीराबाई
मैं तो तेरे दावन लागीवे गोपाळ॥ध्रु०॥ कीया कीजो प्रसन्न दिजावे। खबर लीजो आये तुम साधनमें तुम संतनसे। तुम गउवनके रखवाल॥२॥ आपन जाय दुवारकामें हामकू देई विसार॥३॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलहार॥४॥
अपनी गरज हो मिटी / मीराबाई
अपनी गरज हो मिटी सावरे हाम देखी तुमरी प्रीत॥ध्रु०॥ आपन जाय दुवारका छाय ऐसे बेहद भये हो नचिंत॥ ठोर०॥१॥ ठार सलेव करित हो कुलभवर कीसि रीत॥२॥ बीन दरसन कलना परत हे आपनी कीसि प्रीत। मीराके प्रभु गिरिधर नागर प्रभुचरन न परचित॥३॥
खबर मोरी लेजारे बंदा / मीराबाई
खबर मोरी लेजारे बंदा जावत हो तुम उनदेस॥ध्रु०॥ हो नंदके नंदजीसु यूं जाई कहीयो। एकबार दरसन दे जारे॥१॥ आप बिहारे दरसन तिहारे। कृपादृष्टि करी जारे॥२॥ नंदवन छांड सिंधु तब वसीयो। एक हाम पैन सहजीरे। जो दिन ते सखी मधुबन छांडो। ले गयो काळ कलेजारे॥३॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सबही बोल सजारे॥४॥
सखी आपनो दाम खोटो / मीराबाई
सखी आपनो दाम खोटो दोस काहां कुबज्याकू॥ध्रु०॥ कुबजा दासी कंस रायकी। दराय कोठोडो॥१॥ आपन जाय दुबारका छाय। कागद हूं कोठोडो॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। कुबजा बडी हरी छोडो॥३॥
दरद जाने कोय हेली / मीराबाई
दरद जाने कोय हेली। मैं दरद दिवानी॥ध्रु०॥ घायलकी गत घायल ज्याने। लागी हिये॥१॥ सुली उपर सेजहमारी। किसबीद रहीये सोय॥२॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वदे सामलीया होय॥३॥
राम बिन निंद न आवे / मीराबाई
राम बिन निंद न आवे। बिरह सतावे प्रेमकी आच ठुरावे॥ध्रु०॥ पियाकी जोतबिन मो दर आंधारो दीपक कदायन आवे। पियाजीबिना मो सेज न आलुनी जाननरे ए बिहावे। कबु घर आवे घर आवे॥१॥ दादर मोर पपीया बोले कोयल सबद सुनावे। गुमट घटा ओल रहगई दमक चमक दुरावे। नैन भर आवें॥२॥ काहां करूं कितना उसखेरू बदन कोई न… Continue reading राम बिन निंद न आवे / मीराबाई
हारि आवदे खोसरी / मीराबाई
हारि आवदे खोसरी। बुंद न भीजे मो सारी॥ध्रु०॥ येक बरसत दुजी पवन चलत है। तिजी जमुना गहरी॥१॥ एक जोबन दुजी दहीकी मथीनया। तिजी हरि दे छे गारी॥२॥ ब्रज जशोदा राणी आपने लालकू। इन सुबहूमें हारी॥३॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। प्रभु चरणा परवारी॥४॥