चींटी के बच्चे ने देखा नन्हा भोलू हाथी, सोचा उसने, चलो बनाएँ इसको अपना साथी। बोला क्यों फिर रहे अकेले प्यारे हाथी भाई, आओ हम तुम दोनों मिलकर खेलें छुपम-छुपाई! भोलू बोला मन तो करता खेलें मौज मनाएँ, लेकिन मैं डरता हूँ, बाहर मम्मी ना आ जाएँ। चींटी का बच्चा बोला तुम तनिक नहीं घबराना,… Continue reading भोलू हाथी / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
Category: Laxmi Shankar Bajpai
ऐसा कमाल / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
कंप्यूटर जी, तुम कैसे, ऐसा कमाल कर पाते हो, भारी-भारी प्रश्न गणित के पल में कर दिखलाते हो। एक सवाल लगाने में मुझको घंटा भर लगता है, और कभी इतना करके भी उत्तर गलत निकलता है। क्या तुमको जादू आता है जिसका असर दिखाते हो, या दिमाग के लिए, खास कुछ जड़ी-बूटियाँ खाते हो! मुझको… Continue reading ऐसा कमाल / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
कैसा तुमने जाल बुना है / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
मकड़ी रानी, मकड़ी रानी बतलाओ तो प्रश्न हमारा, कैसे तुमने जाल बुना है इतना सुंदर, इतना प्यारा! जिससे जाल बुना वो धागा भला कहाँ से लाती हो, बुनने वाली जो मशीन है वह भी कहाँ छिपाती हो? एक प्रार्थना तुमसे मेरी है छोटी-सी सुनो जरा, मैं पतंग का धागा दे दूँ मेरे कपड़े बुनो जरा!