कभी जमूद कभी सिर्फ़ इंतिशार सा है जहाँ को अपनी तबाही का इंतिज़ार सा है मनु की मछली, न कश्ती-ए-नूह और ये फ़ज़ा कि क़तरे-क़तरे में तूफ़ान बेक़रार सा है मैं किसको अपने गरेबाँ का चाक दिखलाऊँ कि आज दामन-ए-यज़दाँ भी तार-तार-सा है सजा-सँवार के जिसको हज़ार नाज़ किए उसी पे ख़ालिक़-ए-कोनैन शर्मसार सा है… Continue reading कभी जमूद कभी सिर्फ़ इंतिशार सा है / कैफ़ी आज़मी
Category: Kaifi Azmi
ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है? / कैफ़ी आज़मी
ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है? तेरी हर लहर से बारूद की बू आती है! खून कहाँ बहता है इन्सान का पानी की तरह जिस से तू रोज़ यहाँ करके वजू आती है? धाज्जियाँ तूने नकाबों की गिनी तो होंगी यूँ ही लौट आती है या कर के रफ़ू आती है?… Continue reading ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है? / कैफ़ी आज़मी
इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े / कैफ़ी आज़मी
इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े हँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़म यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े एक तुम के तुम को फ़िक्र-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ है एक हम के चल पड़े तो बहरहाल चल पड़े मुद्दत के बाद उस ने जो… Continue reading इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े / कैफ़ी आज़मी
आवारा सजदे / कैफ़ी आज़मी
इक यही सोज़-ए-निहाँ कुल मेरा सरमाया है दोस्तो मैं किसे ये सोज़-ए-निहाँ नज़र करूँ कोई क़ातिल सर-ए-मक़्तल नज़र आता ही नहीं किस को दिल नज़र करूँ और किसे जाँ नज़र करूँ? तुम भी महबूब मेरे तुम भी हो दिलदार मेरे आशना मुझ से मगर तुम भी नहीं तुम भी नहीं ख़त्म है तुम पे मसीहानफ़सी… Continue reading आवारा सजदे / कैफ़ी आज़मी
आज सोचा तो आँसू भर आए / कैफ़ी आज़मी
आज सोचा तो आँसू भर आए मुद्दतें हो गईं मुस्कुराए हर कदम पर उधर मुड़ के देखा उनकी महफ़िल से हम उठ तो आए दिल की नाज़ुक रगें टूटती हैं याद इतना भी कोई न आए रह गई ज़िंदगी दर्द बनके दर्द दिल में छुपाए छुपाए
आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है / कैफ़ी आज़मी
आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है, आज की रात न फ़ुटपाथ पे नींद आएगी, सब उठो, मैं भी उठूँ, तुम भी उठो, तुम भी उठो, कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जाएगी । ये जमीं तब भी निगल लेने को आमादा थी, पाँव जब टूटती शाखों से उतारे हमने, इन मकानों को ख़बर… Continue reading आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है / कैफ़ी आज़मी
अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ / कैफ़ी आज़मी
अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ, लहू तो नहीं ये कोई और जगह है ये लखनऊ तो नहीं यहाँ तो चलती हैं छुरिया ज़ुबाँ से पहले ये मीर अनीस की, आतिश की गुफ़्तगू तो नहीं चमक रहा है जो दामन पे दोनों फ़िरक़ों के बग़ौर देखो ये इस्लाम का लहू तो नहीं
अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर / कैफ़ी आज़मी
अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर में भी आया न करो मुझ से बिखरे हुये गेसू नहीं देखे जाते सुर्ख़ आँखों की क़सम काँपती पलकों की क़सम थर-थराते हुये आँसू नहीं देखे जाते अब तुम [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”सपनों का आलिंगन”]आग़ोश-ए-तसव्वुर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] में भी आया न करो छूट जाने दो जो दामन-ए-वफ़ा छूट गया क्यूँ ये [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”सोच-सोच के चलना”]लग़ज़ीदा ख़रामी[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]… Continue reading अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर / कैफ़ी आज़मी