सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल / अली सरदार जाफ़री

सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल रंग बन कर बिखर गया कोई गर्दिश-ए-ख़ूं रगों में तेज़ हुई दिल को छूकर गुज़र गया कोई फूल से खिल गये तसव्वुर में दामन-ए-शौक़ भर गया कोई

एक जू-ए-दर्द दिल से जिगर तक रवाँ है आज / अली सरदार जाफ़री

एक जू-ए-दर्द दिल से जिगर तक रवाँ है आज पिघला हुआ रगों में इक आतिश-फ़िशाँ है आज लब सी दिये हैं ता न शिकायत करे कोई लेकिन हर एक ज़ख़्म के मूँह में ज़बाँ है आज तारीकियों ने घेर् लिया है हयात को लेकिन किसी का रू-ए-हसीं दर्मियाँ है आज जीने का वक़्त है यही… Continue reading एक जू-ए-दर्द दिल से जिगर तक रवाँ है आज / अली सरदार जाफ़री

मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी / अली सरदार जाफ़री

मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी रंग और नूर का बहता हुआ धारा बन कर महफ़िल-ए-शौक़ में इक धूम मचा दी उस ने ख़ल्वत-ए-दिल में रही अन्जुमन-आरा बन कर शोला-ए-इश्क़ सर-ए-अर्श को जब छूने लगा उड़ गई वो मेरे सीने से शरारा बन कर और अब मेरे तसव्वुर का उफ़क़… Continue reading मेरी वादी में वो इक दिन यूँ ही आ निकली थी / अली सरदार जाफ़री

मैं और मेरी तन्हाई / अली सरदार जाफ़री

आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तनहाई जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे रुसवाई ये फूल से चहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रस्ते राहें हैं तमाशाई रही भी तमाशाई मैं और मेरी तन्हाई अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे कातिल नज़र आती है दुनिया की… Continue reading मैं और मेरी तन्हाई / अली सरदार जाफ़री

आगे बढ़ेंगे / अली सरदार जाफ़री

वो बिजली-सी चमकी, वो टूटा सितारा, वो शोला-सा लपका, वो तड़पा शरारा, जुनूने-बग़ावत ने दिल को उभारा, बढ़ेंगे, अभी और आगे बढ़ेंगे! गरजती हैं तोपें, गरजने दो इनको दुहुल बज रहे हैं, तो बजने दो इनको, जो हथियार सजते हैं, सजने दो इनको बढ़ेंगे, अभी और आगे बढ़ेंगे! कुदालों के फल, दोस्तों, तेज़ कर लो,… Continue reading आगे बढ़ेंगे / अली सरदार जाफ़री