एहसास में शिद्दत है वही, कम नहीं होती इक उम्र हुई, दिल की लगी कम नही होती लगता है कहीं प्यार में थोड़ी-सी कमी थी और प्यार में थोड़ी-सी कमी कम नहीं होती अक्सर ये मेरा ज़ह्न भी थक जाता है लेकिन रफ़्तार ख़यालों की कभी कम नहीं होती था ज़ह्र को होंठों से लगाना… Continue reading एहसास में शिद्दत है वही, कम नहीं होती / अकील नोमानी
Category: Akil Nomani
जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे / अकील नोमानी
जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे कभी तनहाइयों को तेरी महफ़िल, हम भी कहते थे हमें भी तजरिबा है कुफ्र की दुनिया में रहने का बुतों के सामने अपने मसाइल हम भी कहते थे यहाँ इक भीड़ अंजाने में दिन कहती थी रातों को उसी इक भीड़ में हम भी थे… Continue reading जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे / अकील नोमानी
हर शाम सँवरने का मज़ा अपनी जगह है / अकील नोमानी
हर शाम सँवरने का मज़ा अपनी जगह है हर रात बिखरने का मज़ा अपनी जगह है खिलते हुए फूलों की मुहब्बत के सफ़र में काँटों से गुज़रने का मज़ा अपनी जगह है अल्लाह बहुत रहमों-करम वाला है लेकिन लेकिन अल्लाह से ड़रने का मजा अपनी जगह है
महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है / अकील नोमानी
महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है किसी पत्थर से टकराने को पत्थर होना पड़ता है अभी तक नींद से पूरी तरह रिश्ता नहीं टूटा अभी आँखों को कुछ ख़्वाबों की खातिर सोना पड़ता है मैं जिन लोगों को खुद से मुख्तलिफ महसूस करता हूँ मुझे अक्सर उन्हीं लोगों में शामिल होना पड़ता है
एहसास में शिद्दत है वही, कम नहीं होती / अकील नोमानी
एहसास में शिद्दत है वही, कम नहीं होती इक उम्र हुई, दिल की लगी कम नही होती लगता है कहीं प्यार में थोड़ी-सी कमी थी और प्यार में थोड़ी-सी कमी कम नहीं होती अक्सर ये मेरा ज़ह्न भी थक जाता है लेकिन रफ़्तार ख़यालों की कभी कम नहीं होती था ज़ह्र को होंठों से लगाना… Continue reading एहसास में शिद्दत है वही, कम नहीं होती / अकील नोमानी
जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे / अकील नोमानी
जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे कभी तनहाइयों को तेरी महफ़िल, हम भी कहते थे हमें भी तजरिबा है कुफ्र की दुनिया में रहने का बुतों के सामने अपने मसाइल हम भी कहते थे यहाँ इक भीड़ अंजाने में दिन कहती थी रातों को उसी इक भीड़ में हम भी थे… Continue reading जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे / अकील नोमानी
हर शाम सँवरने का मज़ा अपनी जगह है / अकील नोमानी
हर शाम सँवरने का मज़ा अपनी जगह है हर रात बिखरने का मज़ा अपनी जगह है खिलते हुए फूलों की मुहब्बत के सफ़र में काँटों से गुज़रने का मज़ा अपनी जगह है अल्लाह बहुत रहमों-करम वाला है लेकिन लेकिन अल्लाह से ड़रने का मजा अपनी जगह है
महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है / अकील नोमानी
महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है किसी पत्थर से टकराने को पत्थर होना पड़ता है अभी तक नींद से पूरी तरह रिश्ता नहीं टूटा अभी आँखों को कुछ ख़्वाबों की खातिर सोना पड़ता है मैं जिन लोगों को खुद से मुख्तलिफ महसूस करता हूँ मुझे अक्सर उन्हीं लोगों में शामिल होना पड़ता है