ये दुनिया है यहां असली कहानी पुश्त पर रखना लबों पर प्यास रखना और पानी पुश्त पर रखना तमन्नाओं के अंधे शहर में जब माँगने निकलो तो चादर सब्र की सदियों पुरानी पुश्त पर रखना मैं इक मज़दूर हों रोटी की ख़ातिर बोझ उठाता हों मरी क़िस्मत है बार-ए-हुक्मरानी पुश्त पर रखना तुझे भी इस… Continue reading ये दुनिया है यहां असली कहानी पुश्त पर रखना / एहतेशाम-उल-हक़ सिद्दीक़ी