है मेरो मनमोहना, आयो नहीं सखी री / मीराबाई

राग सारंग

है मेरो मनमोहना, आयो नहीं सखी री॥
कैं कहुं काज किया संतन का, कै कहुं गैल भुलावना॥
कहा करूं कित जाऊं मेरी सजनी, लाग्यो है बिरह सतावना॥
मीरा दासी दरसण प्यासी, हरिचरणां चित लावना॥

शब्दार्थ :-काज =काम। गैल = रास्ता। लावना =लगाना है।

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